श्रीनगर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 जनवरी को जम्मू-कश्मीर का दौरा करेंगे. इस दौरान वह गांदरबल जिले के सोनमर्ग में बने जेड-मोड़ सुरंग का उद्घाटन करेंगे. पीएम मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि वह सुरंग के उद्घाटन के लिए सोनमर्ग की यात्रा का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा, "मैं सुरंग के उद्घाटन के लिए जम्मू-कश्मीर के सोनमर्ग की यात्रा का बेसब्री से इंतजार कर रहा हूं. आपने (उमर अब्दुल्ला) पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए इसके फायदों को सही तरीके से दर्शाया है."
वहीं, प्रधानमंत्री मोदी के दौरे को देखते हुए घाटी में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. जेड-मोड़ और अन्य क्षेत्रों में विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) को तैनात किया गया है. पुलिस अधिकारियों के अनुसार, प्रधानमंत्री के दौरे के मद्देनजर सुरक्षा बलों ने विशेष रूप से मध्य कश्मीर में अतिरिक्त चौकियां स्थापित की हैं और निगरानी बढ़ा दी है. उन्होंने यह भी कहा कि घाटी के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एसपीजी को तैनात किया गया है.
जेड-मोड़ सुरंग (ETV Bharat) एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया, "क्षेत्र में पुलिस, अर्धसैनिक बलों और सेना ने मिलकर सुरक्षा उपाय बढ़ा दिए हैं और 13 जनवरी तक गहन निगरानी जारी रहेगी."
अधिकारी ने आगे कहा, "घाटी में अतिरिक्त पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों को तैनात किया गया है. सीसीटीवी कैमरों और ड्रोन के जरिये निगरानी की जा रही है. साथ ही घाटी में अतिरिक्त चेकपॉइंट और तलाशी पॉइंट भी बनाए गए हैं."
जेड-मोड़ सुरंग (ETV Bharat) जेड-मोड़ सुरंग नाम कैसे रखा गया
बहुप्रतीक्षित जेड-मोड़ सुरंग 6.4 किलोमीटर लंबी है, जो लोकप्रिय पर्यटन स्थल सोनमर्ग को मध्य कश्मीर के गंदेरबल जिले के कंगन शहर से जोड़ती है. सड़क के जेड-आकार वाले खंड से प्रेरित होकर इनका नाम जेड-मोड़ सुरंग रखा गया है. यह सभी मौसम में सोनमर्ग तक संपर्क प्रदान करेगी. हिमस्खलन और भारी बर्फबारी के कारण सर्दियों में इस क्षेत्र में जाना दुर्गम होता है.
जेड-मोड़ सुरंग (ETV Bharat) 8,500 फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित यह परियोजना सोनमर्ग तक साल भर पहुंच की गारंटी देगी, जो लद्दाख और कश्मीर घाटी को जोड़ने वाले श्रीनगर-लेह मार्ग का हिस्सा है. सुरंग के उद्घाटन से सैन्य गतिविधियों के साथ-साथ पर्यटन के लिए भी महत्वपूर्ण है. इससे लद्दाख में भारतीय सैन्यकर्मियों की पहुंच में सुधार होगा, विशेष रूप से चीन-भारत के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) सीमा के निकटवर्ती क्षेत्रों में.
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