देहरादून:सूबे की डबल इंजन सरकार हर मंच से तमाम सुख सुविधा पहुंचाने का दावा करती है, लेकिन जब धरातल पर नजर डालते हैं तो कुछ और ही निकलकर सामने आता है. इसकी हकीकत क्या है, ये जानने के लिए पहाड़ के किसी दूरस्थ गांव जाने की जरूरत ही नहीं है. बल्कि, इसकी बानगी राजधानी देहरादून से चंद किलोमीटर दूर ही देखने को मिल जाएगी. जहां लोगों की जिंदगी एक चुनौती के साथ शुरू होती है. यानी आज भी लोगों को रस्सी-ट्रॉलियों के झंझट से मुक्ति नहीं मिल पाई है. जहां एक ओर लगातार ट्रॉलियों से हादसे होते जा रहे हैं तो दूसरी ओर तंत्र इसका कोई स्थायी समाधान नहीं निकाल पाया है. जिससे ग्रामीणों को उफनती नदियों को पार करने के लिए जान जोखिम में डालनी पड़ रही है. ऐसे में ईटीवी भारत ने मौके पर जाकर हकीकत कैमरे में कैद की.
रस्सी और ट्रॉली के सहारे मासूम जिंदगियां:दरअसल, इन दिनों देहरादून रायपुर ब्लॉक से सटे टिहरी जिले के सकलाना क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा मुख्य धारा से कटा हुआ है. वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में यहां पर केवल एक मात्र ट्रॉली है. जिस पर सैकड़ों लोगों की आवाजाही होती है. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ग्राउंड जीरो पर जाकर लोगों की समस्याएं जानी. सबसे पहले ईटीवी भारत की सोंग नदी के उन दोनों किनारों के पास पहुंची. जहां टिहरी जिले की तौला काटल पंचायत के सौंदणा गांव और देहरादून के रायपुर क्षेत्र के हिलांस गांव को एक रस्सी व लोहे की कमानी के सहारे एक ट्रॉली जोड़ती है.
फिलहाल, इन दिनों टिहरी के तौला काटलऔर लोअर सकलानाक्षेत्र के तकरीब 100 से ज्यादा गांव मुख्यधारा से कटे हुए हैं तो सौंदणा गांव व आसपास के लोगों के लिए यह पुराना ट्रॉली सिस्टम ही मुख्यधारा से जुड़ने का एक मात्र सहारा है. ऐसे में जब ईटीवी भारत की टीम मौके पर पहुंची तो स्कूली बच्चे और ग्रामीण ट्रॉली से उफनती नदी को पार करते दिखे. जहां थोड़ी सी चूक या लापरवाही जान पर भारी पड़ सकती थी, लेकिन ग्रामीण और बच्चे अपने गंतव्यों तक जाने के लिए जद्दोजहद करते दिखे.
2022 की आपदा में बह गया था पुल:स्थानीय निवासी पदम सिंह पवार बताते हैं कि साल 2022 में सोंग नदी में बाढ़ आने के बाद तौला काटल क्षेत्र को जोड़ने वाले कई साल पुराने सभी पुल टूट गए थे. फिर इस पूरे क्षेत्र को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए चिफल्टी, रगड़ गांव और सौंदणा में तीन अलग-अलग जगह पर ट्रॉली सिस्टम लगाए गए, जिनमें से अब तक दो बह चुके हैं. सिर्फ हिलांस और सौंदणा गांव को जोड़ने वाला एक ट्रॉली सिस्टम ही काम कर रहा है.
सौंदणा गांव से जोड़ने वाले ट्रॉली पर बढ़ा दबाव:इस ट्रॉली सिस्टम पर सौंदणा गांव और आसपास के दर्जनों गांव के लोग नदी को पार कर रोजाना इस ओर आते हैं. क्योंकि, टिहरी के तौला काटल पंचायत को जोड़ने वाले सभी संपर्क मार्ग टूटे हुए और सैकड़ों गांवों वाला यह पूरा इलाका भी भी मुख्यधारा से कटा हुआ है. इसलिए सौंदणा गांव से जोड़ने वाली इस ट्रॉली पर इन दिनों काफी दबाव है.
खासकर स्कूल जाने वाले छोटे बच्चे जान जोखिम में डालकर इस ट्रॉली से नदी पार करते हैं. सौंदणा गांव से हिलांस गांव में मौजूद स्कूल में पढ़ने के लिए आने वाली तीसरी कक्षा की प्रियल, कक्षा 11 वीं की दीक्षा और कक्षा 5 में पढ़ने वाले शुभम ने अपनी समस्या बताई. इसके अलावा इसी गांव के निवासी पदम सिंह पंवार ने यहां रोजाना आने वाली समस्याओं के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि कब उनके साथ हादसा हो जाए कहा नहीं जा सकता.
लोअर सकलाना क्षेत्र को जोड़ने वाली सड़क बोर्ड पर चमकदार:इन दिनों मुख्य धारा से कटे लोअर सकलाना और तौला काटल कैटल क्षेत्र की इन समस्याओं को बारीकी से जानने के ईटीवी भारत की टीम ने तकरीबन 30 किलोमीटर वापस आकर दूसरे सड़क मार्ग से इस इलाके की तरफ रुख किया. दरअसल, इस पूरे इलाके के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत आरकेके से रगड़ गांव तक 15 किलोमीटर का मोटर मार्ग बनाया गया है. जिसकी जमीनी हकीकत भी देखने को मिली.
रगड़ गांव तक बनी है पीएमजीएसवाई सड़क:सड़क की शुरुआत पर लगे बोर्ड के अनुसार, इस पीएमजीएसवाई सड़क का निर्माण रगड़ गांव तक किया गया है, जिसकी लागत 6 करोड़ 57 लाख के करीब है और इसको साल 2021 में शुरू किया गया. बोर्ड के अनुसार साल 2022 में यह बनकर तैयार हो गया, लेकिन जमीनी हकीकत इसके विपरीत नजर आई.