नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान कहा कि संविधान पर चर्चा युवाओं और अगली पीढ़ी के लिए सीख देने वाली होगी. उन्होंने कहा कि दोनों सदनों में संविधान पर हुई चर्चा युवाओं और अगली पीढ़ी के लिए बहुत शिक्षाप्रद होगी. लोग देखेंगे कि किस पार्टी ने संविधान को बरकरार रखा है.
शाह ने कहा, हमने दुनिया के विभिन्न देशों के संविधान से अच्छी बातों को लिया है, लेकिन हमने अपनी परंपराओं को नहीं छोड़ा. उन्होंने कहा कि संविधान में वेदों और शास्त्रों के विचार लिए गए. उन्होंने कहा कि हमारा संविधान, संविधान सभा का गठन और संविधान बनाने की प्रक्रिया अनूठी है. उन्होंने कहा कि संविधान सभा में 22 धर्मों और पंथों से 299 सदस्य थे, साथ ही हर रियासत और राज्य का प्रतिनिधित्व था. उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में 2 साल, 11 महीने और 18 महीने लगे.
संविधान पर अंबेडकर की सोच का हवाला
उन्होंने कहा कि संविधान की रचना के बाद भीमराव अंबेडकर ने बहुत सोच समझकर एक बात कही थी कि कोई संविधान कितना भी अच्छा हो, वह बुरा बन सकता है, अगर जिन पर उसे चलाने की जिम्मेदारी है, वो अच्छे नहीं हों. उसी तरह से कोई भी संविधान कितना भी बुरा हो, वो अच्छा साबित हो सकता है, अगर उसे चलाने वालों की भूमिका सकारात्मक और अच्छी हो. ये दोनों घटनाएं हमने संविधान के 75 साल के कालखंड में देखी हैं.
आर्टिकल 368 में संविधान संशोधन के लिए प्रावधान
उन्होंने कहा कि हमारे संविधान को कभी भी अपरिवर्तनशील नहीं माना गया. समय के साथ-साथ देश भी बदलना चाहिए, समय के साथ-साथ कानून भी परिवर्तन होना चाहिए और समय के साथ-साथ समाज भी बदलना चाहिए. परिवर्तन इस जीवन का मंत्र है, सत्य है. इसको हमारे संविधान सभा ने स्वीकार किया था, इसलिए आर्टिकल 368 में संविधान संशोधन के लिए प्रावधान किया गया था.