पानीपत:हरियाणा के पानीपत में सात साल की बच्ची को इलाज की सख्त जरूरत है. माही के माता-पिता बीते 7 साल से उसको डॉक्टर के पास लेकर जा रहे हैं. लेकिन इलाज नहीं हो पा रहा है. दरअसल, बच्ची को एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज केवल दिल्ली के एम्स अस्पताल में ही हो सकता है. लेकिन बच्ची के परिजनों का कहना है कि 'जब भी वो अपनी बच्ची को अस्पताल में लेकर जाते हैं तो डॉक्टर उन्हें बेड खाली नहीं है कहकर वापस भेज देते हैं. डॉक्टर ने अपनी ओपीडी स्लिप में लिखित में दिया है कि नो बेड अवेलेबल'.
'दिल्ली एम्स में इलाज के लिए नहीं मिला बेड': माही के माता-पिता का कहना है कि 'माही के दिल में एवी कैनाल रिपेयर होना है. जिसका इलाज केवल दिल्ली के एम्स अस्पताल में ही संभव है'. माही के पिता राकेश ने बताया कि 'माही का जन्म जन्म 8 महीने में ही हो गया था. इसे सांस लेने में समस्या थी. जब डॉक्टर के पास गए तो डॉक्टर को भी माही की इस बीमारी के बारे में कोई समझ नहीं थी. यहां के डॉक्टरों ने माही को दिल्ली एम्स में रेफर कर दिया. एम्स के डॉक्टर ने इस बीमारी का पता लगाया और इलाज की बात कही'.
'सात साल बीत जाने के बाद भी नहीं हो पाया इलाज': राकेश ने बताया कि 'जब माही को दिल्ली एम्स अस्पताल में इलाज के लिए लेकर गए तो वहां उस समय बेड नहीं था. जिसके बाद माही को घर वापस लेकर आ गए. माही जन्म से लेकर आज तक इस बीमारी से जूझ रही है और ऐसे ही सात साल बीत गए हैं. हॉस्पिटल में अभी तक बेड उपलब्ध नहीं हुआ. जब भी वो माही को लेकर दिल्ली एम्स पहुंचते हैं तो डॉक्टर की तरफ से एक ही जवाब आता है, बेड खाली नहीं है. जब बेड खाली होगा तो फोन कर उन्हें इलाज के लिए बुलाया जाएगा'.
'लेटर फाड़कर कूड़े में फेंक दो': माही के पिता ने बताया कि 'एम्स अस्पताल के डायरेक्टर से भी इस बारे में बातचीत की गई. उन्होंने एक लेटर भी लिखकर दिया. लेकिन जब लेटर लेकर अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टर का वही जवाब था कि लेटर फेंक कर फाड़ दो, इनकी यहां कोई वैल्यू नहीं है. डॉक्टर कहते हैं कि हर रोज यहां सैकड़ों ऐसे लेटर आते हैं.'
'बिना इलाज के भरी एम्स की फीस': इतना ही नहीं राकेश ने आगे बताया कि 'जब वह माही को लेकर पहली बार अस्पताल गए और डॉक्टरों ने बीमारी के बारे में पता लगाया. उसी समय माही के माता-पिता ने करीब डेढ़ लाख रुपये अस्पताल में जमा करवाए. लेकिन बेड नहीं होने के कारण माही का इलाज नहीं हो पाया. माही के लिए ब्लड की चार यूनिट भी 7 साल पहले से ही जमा है. उस मशीन के पैसे भी जमा करवाए गए हैं, जिस मशीन में माही का दिल निकालकर कुछ घंटों के लिए सुरक्षित रखा जाएगा'.