मुंबई:भारतीय जनता पार्टी ने अबकी पार 400 पार के स्लोगन को साधने के लिए महाराष्ट्र में कई तरीके अपनाए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ लेकिन उसके उलट महाविकास आघाडी (MVA) यानी कि इंडिया अलायंस एनडीए पर भारी पड़ गया. इस बार के चुनावी नतीजों में, महाराष्ट्र के 48 सांसदों में से 26 नए सांसद मराठा समुदाय से हैं. जहां 9 सांसद ओबीसी हैं, वहीं 6 सांसद अनुसूचित जाति से चुने गए हैं. अनुसूचित जनजाति से 4 नये सांसद हैं. पूरे राज्य के जातीय समीकरण पर गौर करें तो 55 फीसदी सांसद मराठा समुदाय से हैं. इसमें 11 सांसद महायुति के हैं.
मराठा आरक्षण का मुद्दा इस साल के लोकसभा चुनाव में एक प्रमुख मुद्दा बन गया. मनोज जारांगे पाटिल के आंदोलन से राज्य में राजनीतिक माहौल बदल गया था. खुद बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने भी कहा कि लोकसभा चुनाव में इस आंदोलन का खामियाजा सत्ताधारी महागठबंधन को भुगतना पड़ा. हालांकि, राज्य की 48 सीटों में से 26 सीटों पर मराठा समुदाय के नए सांसद चुने गए हैं. उसके बाद ओबीसी समुदाय से 9 सांसद, अनुसूचित जाति से 6 सांसद और अनुसूचित जनजाति से 4 नए सांसद हैं. वर्षा गायकवाड़ भले ही अनुसूचित जाति से हैं, लेकिन वह ओपन निर्वाचन क्षेत्र से जीतने वाली एकमात्र सांसद बन गई हैं.
जनता ने चुनाव अपने हाथ में लिया
राज्य सरकार मराठों से नहीं डरी तो इस चुनाव में मराठा समुदाय ने एकजुटता दिखाई. मराठा प्रदर्शनकारी मनोज जारांगे पाटिल ने अपील की है कि सरकार को जागना चाहिए और आरक्षण को लेकर फैसला लेना चाहिए. मनोज जारांगे पाटिल ने दावा किया है कि जनता ने इस चुनाव को अपने हाथ में ले लिया है.
मराठा समुदाय के सांसद
श्रीकांत शिंदे, स्मिता वाघ, साहू छत्रपति, नारायण राणे, डॉ. शोभा बच्चव, विशाल पाटिल, उदयनराजे भोसले , नरेश मस्के, सुप्रिया सुले, श्रीरंग बारणे, मुरलीधर मोहोल, दारिशशील मोहिते, संजय देशमुख, प्रतापराव जाधव, अरविंद सावंत, ओमप्रकाशराजे निंबालकर, राजाभाऊ वाजे, नीलेश लंका, संदीपन भुमरे, डॉ. कल्याण काले, बजरंग सोनावणे, अनुप धोत्रे, नागेश अष्टिकर, संजय जाधव, वसंत चव्हाण, दरह्यशील माने.