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कोर्ट ने मुखानी के तत्कालीन थानाध्यक्ष और सीओ के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए, ये है पूरा मामला - SC woman assault case - SC WOMAN ASSAULT CASE

Court order on negligence in Dalit harassment नैनीताल जिले के मुखानी थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष और तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी के खिलाफ जिला एवं सत्र न्यायाधीश नैनीताल ने मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं. मामला अनुसूचित जाति की महिला के साथ मारपीट के मामले में लापरवाही बरतने से जुड़ा है. न्यायालय ने मारपीट के आरोपी शख्स के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं.

Dalit harassment
मुखानी थाना समाचार (Photo- Haldwani Police)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 12, 2024, 9:09 AM IST

हल्द्वानी: मुखानी थाना क्षेत्र अंतर्गत अनुसूचित जाति की महिला से घर में घुसकर मारपीट करने के मामले में लापरवाही बरतना पुलिस के अधिकारियों को भारी पड़ा है. न्यायालय ने लापरवाही बरतने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए हैं. बताया जा रहा है कि मुकदमा दर्ज नहीं होने पर पीड़िता न्यायालय पहुंच गई. जहां न्यायालय ने मामले को गंभीरता से लिया और मुखानी के तत्कालीन थानाध्यक्ष और तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के मुखानी थाने को आदेश किए हैं.

बताया जा रहा है कि मुखानी थाना क्षेत्र अंतर्गत पनियाली निवासी प्रमिला देवी ने बताया कि वह अपने दो बेटों के साथ रहती है. आरोप है कि गिरीश चंद्र तिवारी ने उसके बेटे पंकज को एक जमीन में निवेश का झांसा देकर पैसे ऐंठ लिए और ब्लैंक चेक भी ले लिया. इसके बाद गिरीश चंद्र द्वारा उसके साथ धोखाधड़ी की गई. गिरीश के खिलाफ पंकज ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया था, जो न्यायालय में विचाराधीन है.

आरोप है कि इसी वाद को वापस लेने के लिए गिरीश दबाव बना रहा था. चार जनवरी को गिरीश प्रमिला देवी के घर में घुस आया. उस समय उसके दोनों बेटे घर पर नहीं थे. आरोप है कि गिरीश ने महिला को बाल पकड़कर घसीटा, गालियां दीं और जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल पर जान से मारने की धमकी दी. महिला अपने साथ हुई घटना की शिकायत करने मुखानी पुलिस के पास पहुंची. जिसके बाद तत्कालीन क्षेत्राधिकारी ने मामले की जांच की फिर भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ.

इस पर महिला ने न्यायालय जिला एवं सत्र न्यायाधीश नैनीताल की शरण ली. न्यायालय ने गिरीश चंद्र तिवारी पर अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम, 452, 323, 504, 506 के तहत मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने यह भी माना कि तत्कालीन मुखानी थानाध्यक्ष और तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी ने अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया. ऐसे में इन दोनों के खिलाफ भी एससी/एसटी एक्ट की धारा 4 के तहत एफआईआर दर्ज की जाए.

तीनों आरोपियों पर मुकदमा दर्ज करने के आदेश के साथ ही न्यायालय ने यह आदेश भी दिया है कि इस मामले की जांच जिले के बाहर के एसएसपी से कराई जाए, जिससे किसी प्रकार से जांच प्रभावित न हो. फिलहाल न्यायालय के आदेश के बाद पुलिस मामला दर्ज करने की कार्रवाई कर रही है.
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