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विश्व में फिर चमका मध्य प्रदेश, वर्ल्ड हेरिटेज के लिए ओरछा का प्रस्ताव स्वीकार

मध्य प्रदेश का ओरछा जल्द ही वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में शामिल हो सकता है. प्रस्ताव यूनेस्को कमेटी ने स्वीकार कर लिया है.

UNESCO ACCEPTED ORCHHA PROPOSAL
यूनेस्को ने स्वीकार किया ओरछा का प्रस्ताव (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 5 hours ago

ओरछा: मध्य प्रदेश के ओरछा की पहचान अब विश्व स्तर पर होगी. इसे अब वर्ल्ड हेरिटेज के रूप में जाना जाएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि राम राजा सरकार की नगरी को विश्व विरासत की पहचान दिए जाने को लेकर केंद्र सरकार ने यूनेस्को को प्रस्ताव भेजा था. वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है. अब जल्द ही इस पर विचार किया जाएगा और ओरछा को विश्व धरोहर का खिताब मिला तो खजुराहो के बाद अब ओरछा नगर भी विश्व स्तर पर मध्य प्रदेश की शान बढ़ाएगा.

पेरिस यूनेस्को कार्यालय में सौंपा गया डोजियर

राम राजा सरकार की नगरी ओरछा में पहले ही राम राजा लोक को लेकर तैयारियां जोरों से चल रही है. ऐसे में अब केंद्र सरकार के द्वारा भेजा गया प्रस्ताव पिछले हफ्ते पेरिस में यूनेस्को कार्यालय में भारतीय एंबेसडर विशाल शर्मा द्वारा सौंपा जा चुका है. इस डोजियर को यूनेस्को के पेरिस मुख्यालय डायरेक्टर लाजर एलुंडू असोमो द्वारा रिसीव कर यूनेस्को की विश्व धरोहर कमेटी को सौंपा गया था. अब पता चला है कि इस प्रस्ताव को कमेटी द्वारा स्वीकृति दे दी गई है और अब कमेटी इस पर सभी पहलुओं के तहत विचार करेगी.

वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में शामिल हो सकता है मध्य प्रदेश का ओरछा (ETV Bharat)

2028 में होगी आधिकारिक घोषणा

ओरछा के रहने वाले और पर्यटन विशेषज्ञ हेमंत गोस्वामीकहते हैं कि "बुंदेलखंड की अयोध्या कहे जाने वाले ओरछा को टेंटेटिव लिस्ट से उठाकर यूनेस्को ने स्थाई सूची के लिए मध्य प्रदेश शासन और भारत सरकार का डोजियर स्वीकार कर लिया है. ऐसे में आने वाले समय में बुंदेलखंड और मध्य प्रदेश का एक सामूहिक विकास होने जा रहा है. हालांकि यूनेस्को द्वारा इस प्रस्ताव पर मुहर लगने के बाद यदि ओरछा को परमानेंट लिस्ट में शामिल किया गया तो इसकी आधिकारिक घोषणा 2028 में की जाएगी. ऐसे में खजुराहो के बाद मध्य प्रदेश का ओरछा भी यूनेस्को का हिस्सा होगा."

राम राजा सरकार मंदिर ओरछा (ETV Bharat)

ओरछा को विश्व मानचित्र पर लाने का प्रयास

मध्य प्रदेश के संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला ने बताया कि "ओरछा अपने आप में इतिहास संस्कृति और आस्था में विशेष जगह रखता है और इस क्षेत्र ने लगातार राम राजा सरकार के सानिध्य में विकास किया है. मध्य प्रदेश सरकार भी लगातार ऐसे विश्व मानचित्र पर धरोहर के रूप में पहचान देने के लिए लगातार काम कर रही है. अब यह बहुत खुशी की बात है कि मध्य प्रदेश के इन प्रयासों का एक सार्थक असर दिखाई दे रहा है. यूनेस्को की स्थाई सूची में शामिल किए जाने का हमारा प्रस्ताव यूनेस्को तक पहुंच चुका है. इसके लिए मध्य प्रदेश सरकार, भारत सरकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और यूनेस्को का बहुत आभार व्यक्त करता हूं."

वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में शामिल हो सकता है ओरछा (ETV Bharat)

पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा, लगातार हो रहा विकास

संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव का कहना है कि "मध्य प्रदेश के ओरछा को महत्वपूर्ण स्थान मिलना चाहिए. यहां की विरासत और विकास के लिए अहम कदम उठाए जा रहे हैं. उन्होंने इस बात पर भी पूरा विश्वास दिलाया के जल्द ही मध्य प्रदेश के ओरछा को यूनेस्को की स्थाई विश्व विरासत सूची में शामिल किया जाएगा और देश-विदेश के पर्यटक यहां आकर आनंद का अनुभव कर सकेंगे. इस क्षेत्र को विकास और पर्यटन में बढ़ावा देने के लिए मध्य प्रदेश सरकार भी लगातार यहां कई अच्छी योजनाएं लेकर आ रही है. इस क्षेत्र को विकसित कर रहे हैं जिससे कि भगवान राम का स्थान उतना ही सुशोभित हो जितना कि उसे वास्तव में होना चाहिए."

ओरछा मंदिर (ETV Bharat)

एमपी के 3 स्थान यूनेस्को की स्थाई सूची में शामिल

मध्य प्रदेश के विश्व विरासत स्थलों की बात करें तो वर्तमान में मध्य प्रदेश में 3 स्थाई और 11 अस्थाई वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स हैं. जिसमें विदिशा का सांची स्तूप, रायसेन में स्थित भीम बैठिका और खजुराहो शामिल है. जबकि मध्य प्रदेश का ग्वालियर किला, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और मालवा का मांडू यूनेस्को की विश्व विरासत की अस्थाई सूची में पहले से शामिल है.

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यूनेस्को की लिस्ट में शामिल होने पर क्या होगा फायदा

जब भी यूनेस्को किसी स्थान को विश्व धरोहर की पहचान देता है तो ऐसे में विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए यूनेस्को लिस्ट में शामिल स्थल पर्यटन के लिहाज से प्राथमिकता पर होते हैं. ऐसे में जब खजुराहो के साथ-साथ अब ओरछा को भी वर्ल्ड हेरिटेज का किताब मिलेगा तो इससे न सिर्फ इस क्षेत्र का बल्कि आसपास के क्षेत्रों का भी विकास होगा. चंदेरी, देवगढ़ या टीकमगढ़ के किले, बल्देवगढ़ के किले या गढ़ कुढ़ार और बरुआ सागर हो इन सभी क्षेत्रों में भी पर्यटक पहुंचेंगे. जिसका फायदा बुंदेलखंड को होगा यहां रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा.

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