गुवाहाटी:मणिपुर में जारी हिंसा पर चिंता व्यक्त करते हुए नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) ने अशांत पूर्वोत्तर राज्य में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है, जो पिछले साल मई से बहुसंख्यक मैतेई और कुकी समुदाय के बीच जारी संघर्ष से जूझ रहा है.
एनपीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा की ओर से रविवार को जारी एक पत्र में कहा गया, "हमें दृढ़ता से लगता है कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व में मणिपुर राज्य सरकार संकट को हल करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह नाकाम रही है."
संगमा द्वारा हस्ताक्षरित बयान में कहा गया है, "मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए, नेशनल पीपुल्स पार्टी ने मणिपुर राज्य में बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार से तत्काल प्रभाव से अपना समर्थन वापस लेने का फैसला किया है."
बीजेपी के पास कितने विधायक?
गौरतलब है कि 60 सदस्यों वाली मणिपुर विधानसभा में एनपीपी के सात विधायक हैं. हालांकि, एनपीपी के समर्थन वापस लेने से मणिपुर में भाजपा सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि मणिपुर विधानसभा में भगवा पार्टी के पास अपने 37 विधायक हैं. यह घटनाक्रम इस बात का संकेत है कि हाल ही में हुई हिंसा के मद्देनजर राज्य में राजनीतिक समीकरण बदल रहे हैं.
राज्य में नेतृत्व में बदलाव की मांग
एनपीपी के समर्थन वापस लेने का कदम इस तथ्य को देखते हुए भी महत्वपूर्ण है कि मणिपुर विधानसभा के अध्यक्ष सत्यव्रत सिंह सहित 19 विधायकों ने पिछले महीने (अक्टूबर 2024) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ज्ञापन सौंपकर मणिपुर को बचाने के लिए नेतृत्व में बदलाव की मांग की थी.
मणिपुर में हाल ही में हुई हिंसा के बाद भाजपा नेताओं पर दबाव बढ़ रहा है, क्योंकि घाटी के लोग भाजपा विधायकों से कह रहे हैं कि अगर वे कुकी उग्रवादियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित नहीं कर सकते तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए.
कुकी उग्रवादियों ने हाल ही में एक आठ महीने के बच्चे सहित छह लोगों की हत्या कर दी थी. इन लोगों को सोमवार को जिरीबाम से कथित तौर पर अगवा किया गया था, जहां सीआरपीएफ बलों की सशस्त्र बदमाशों के साथ मुठभेड़ हुई थी और उनमें से दस को मार गिराया गया था.
पीएम मोदी मणिपुर नहीं जा रहे- खड़गे
इसके अलावा मणिपुर के घाटी क्षेत्रों में कई संगठन भी बीजेपी सरकार के विधायकों और मंत्रियों से इस्तीफा देने की मांग कर रहे हैं. इस मामले में कांग्रेस भी हमलावर हो गई है. इसको लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि मैं बस न्याय चाहता हूं, चाहे मणिपुर पर कोई भी शासन करे. प्रधानमंत्री वहां नहीं गए और मणिपुर के लोग महीनों, सालों से पीड़ित हैं. प्रधानमंत्री क्या कर रहे हैं? वे पूरी दुनिया, पूरे महाराष्ट्र और झारखंड में घूम रहे हैं, लेकिन वे मणिपुर नहीं जा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी वहां गए. उन्होंने वहां (मणिपुर) से मुंबई, महाराष्ट्र तक अपनी पदयात्रा शुरू की.पीएम मोदी कहां हैं? उनके पास वहां जाने के लिए कोई चेहरा नहीं है... मैं केंद्र सरकार के रवैये की निंदा करता हूं.
भाजपा के दिन खत्म होने वाले हैं
वहीं, मामले में कांग्रेस नेता कुंवर दानिश अली ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा कि भाजपा के दिन खत्म होने वाले हैं. पूर्वोत्तर से समर्थन वापस लेने का सिलसिला शुरू हो गया है. मणिपुर सरकार से समर्थन वापस लेने का सिलसिला अब उनके एक सहयोगी दल ने वापस ले लिया है.
उन्होंने आगे कहा कि एक दिन आपको सुनने को मिलेगा कि जेडीयू या टीडीपी ने भी बीजेपी से समर्थन वापस ले लिया है और मोदी सरकार गिर जाएगी. उन्होंने बहुत सारे वादे किए और सत्ता में आए, लेकिन उन्होंने आज तक कोई मांग पूरी नहीं की. मणिपुर की स्थिति सबके सामने है...इनका इन सबसे कोई लेना-देना नहीं है, वे सिर्फ बांटो और काटो की राजनीति में व्यस्त हैं.
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