हैदराबाद :न्यायमूर्ति नरसिम्हा रेड्डी की अगुआई वाली समिति ने भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के प्रमुख के. चंद्रशेखर राव को नोटिस जारी कर उनसे उनके कार्यकाल के दौरान बिजली खरीद समझौते (पीपीए) में उनकी संलिप्तता पर विस्तृत जवाब मांगा है. आयोग ने केसीआर से 15 जून तक जवाब मांगा है. नोटिस का जवाब देते हुए केसीआर ने मामले में स्पष्टीकरण देने के लिए 30 जुलाई तक का समय मांगा है.
बता दें, आयोग का गठन बीआरएस के सरकार में रहने के दौरान किए गए बिजली खरीद समझौतों में अनियमितताओं की जांच के लिए किया गया था. जांच खास तौर पर यदाद्री और दामरचेरला बिजली संयंत्रों पर केंद्रित है और इसमें छत्तीसगढ़ से प्रस्तावित 1,000 मेगावाट बिजली खरीद भी शामिल है. वहीं, सोमवार को इस मामले में टीएस जेनको एंड ट्रांसको के पूर्व चेयरमैन और प्रबंध निदेशक प्रभाकर राव पूर्व विशेष मुख्य सचिव सुरेश चंदा के साथ आयोग के समक्ष पेश हुए. सुरेश चंदा छत्तीसगढ़ से बिजली खरीदने के प्रस्ताव में शामिल थे. आयोग ने पूर्व सीएम को चेतावनी दी कि अगर जवाब संतोषजनक नहीं रहा तो उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश होना पड़ेगा.
न्यायमूर्ति एल नरसिम्हा रेड्डी आयोग ने कई अहम बिंदुओं का किया खुलासा
यदाद्री और भद्राद्री बिजली संयंत्रों के निर्माण और छत्तीसगढ़ बिजली खरीद पर न्यायमूर्ति एल नरसिम्हा रेड्डी आयोग ने कई अहम बिंदुओं का खुलासा किया है. आयोग ने बताया कि इन तीनों पहलुओं पर अब तक 25 अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को पत्र लिखा जा चुका है. आयोग ने स्पष्ट किया कि उसने पूर्व मुख्यमंत्री केसीआर को भी पत्र लिखा है. आयोग का मानना है कि छत्तीसगढ़ में बिजली खरीद के कारण सरकार पर भारी वित्तीय बोझ पड़ा है. आयोग के मुताबिक, छत्तीसगढ़ बिजली खरीद समझौते के दौरान बिजली कंपनी का वास्तविक निर्माण नहीं हुआ था. न्यायमूर्ति एल नरसिम्हा रेड्डी ने बीआरके भवन में आयोजित मीडिया कॉन्फ्रेंस में यदाद्री और भद्राद्री बिजली संयंत्रों के निर्माण और छत्तीसगढ़ से बिजली खरीद का ब्यौरा पेश किया.
न्यायमूर्ति एल नरसिम्हाराड्डी ने कहा कि उन्होंने 25 अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को पत्र लिखा है. लगभग सभी ने उनके पत्रों का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि यदाद्री और भद्राद्री बिजली संयंत्रों का निर्माण और छत्तीसगढ़ बिजली खरीद का मामला तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा लिया गया निर्णय था, लेकिन जेनको और अन्य एजेंसियों द्वारा स्वतंत्र रूप से कोई निर्णय नहीं लिया गया.
उन्होंने आगे कहा कि राज्य में बिजली की कम उपलब्धता के कारण नई केसीआर सरकार में पहले दक्षिणी राज्यों की एजेंसियों से बिजली खरीदने के लिए संयुक्त उद्यम दिया गया था, लेकिन दो महीने बाद इसे कहीं से भी खरीदने के लिए बदल दिया गया. इस बीच छत्तीसगढ़ के साथ बिजली खरीद समझौता किया गया. न्यायमूर्ति ने कहा कि सरकारी अधिकारियों के अलावा सीपीडीसीएल ने भी बिजली खरीद के लिए उनके साथ समझौता किया है. नवंबर 2016 के अंत में वित्त विभाग ने तेलंगाना विद्युत विनियमन आयोग (ईआरसी) को एक पत्र लिखा था.
राज्य पर भारी वित्तीय बोझ पड़ने की संभावना है
उस पत्र में यह बात सामने आई थी कि छत्तीसगढ़ से बिजली खरीदने के कारण राज्य पर भारी वित्तीय बोझ पड़ने की संभावना है. पत्र में उल्लेख किया गया है कि अगर खुले बाजार में बिजली खरीदी जाती है, तो काफी पैसा बचाने का मौका है. लेकिन न्यायमूर्ति एल नरसिम्हा रेड्डी ने बताया कि सरकारी अधिकारियों ने उस मामले पर ध्यान नहीं दिया. उन्होंने कहा कि ईआरसी ने भी उस पत्र पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया.