नई दिल्ली : आरजी कर अस्पताल में रेप-हत्या मामले की सुनवाई को पश्चिम बंगाल से बाहर स्थानांतरित करने से सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि इससे न्यायिक प्रणाली पर संदेह नहीं होगा.
इस मामले की सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने की, जिसमें न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल थे. आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला चिकित्सक का शव मिलने के दो महीने से अधिक समय बाद, सोमवार को एक अदालत ने मुख्य आरोपी संजय रॉय के खिलाफ आरोप तय किए.
वहीं रॉय ने दावा किया कि उसे फंसाया गया है. पिछले महीने पेश किए गए अपने शुरुआती आरोप-पत्र में सीबीआई ने रॉय को मामले में एकमात्र मुख्य आरोपी बताया था. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक वकील ने पीठ के समक्ष दलील दी कि 90 दिनों की जांच में जांच एजेंसी ने कुछ नहीं किया है और उन्होंने सिर्फ राज्य पुलिस के बयान का समर्थन किया है.
इस मौके पर सीजेआई ने कहा कि ट्रायल जज के पास सबूत देखने के बाद अगर उन्हें लगता है कि यह जरूरी है तो वह दूसरी जांच के लिए आदेश दे सकते हैं. एक अन्य वकील ने दलील दी कि मुकदमा शुरू होने वाला है और मामले में परेशान करने वाली परिस्थितियों को देखते हुए मुकदमे को पश्चिम बंगाल से बाहर स्थानांतरित किया जा सकता है और मुकदमे को राज्य से बाहर स्थानांतरित करने के पहले भी कई उदाहरण हैं.
इस पर सीजेआई ने कहा कि हम जानते हैं कि ऐसे कई उदाहरण हैं और कोर्ट ने कुछ मुकदमों को मणिपुर से असम स्थानांतरित किया है. सीजेआई ने कहा, "यहां हम ऐसा नहीं कर रहे हैं, मुकदमे को (जज के) सामने चलने दें. अन्यथा, हम अपनी न्यायिक प्रणाली पर संदेह करेंगे."
पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि मुकदमे को रोकने की कोशिश की जा रही है. सीजेआई ने एक वकील से कहा, जिन्होंने मामले में वित्तीय अनियमितताओं का मुद्दा उठाया था, "सीबीआई द्वारा प्रस्तुत स्थिति रिपोर्ट में वित्तीय अनियमितताओं की जांच का विस्तृत उल्लेख किया गया है.हम ऐसा कोई मुद्दा नहीं उठाना चाहते जिससे जांच प्रभावित हो. निश्चिंत रहें कि सीबीआई वित्तीय अनियमितताओं की भी जांच कर रही है."
इस दौरान अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने कहा कि 11 नवंबर से अभियोजन पक्ष के साक्ष्यों को प्रतिदिन दर्ज करने का आदेश पारित किया गया है, इसे रोकना अजनबियों के हित में क्यों है? सीजेआई ने कहा कि हम यह सब नहीं रोकेंगे. ग्रोवर ने कहा, "जब पूरक आरोपपत्र दाखिल किया जाएगा, तो यदि आवश्यक हो तो आरोप को संशोधित करने की शक्ति है जो कि बीएनएसएस के तहत शक्ति है, जिसका प्रयोग आवश्यकता पड़ने पर किया जाएगा.".
एक अन्य वकील ने कहा कि पश्चिम बंगाल के लोगों का न्यायपालिका और राज्य की पुलिस पर से विश्वास उठ गया है. सीजेआई ने वकील को फटकार लगाते हुए कहा, "लोगों के बारे में बात मत करो, तुम किसके लिए पेश हो रहे हो? ऐसे सामान्य बयान मत दो. कोर्ट में कैंटीन की गपशप हो रही है!" सर्वोच्च न्यायालय आरजी कर अस्पताल बलात्कार-हत्या मामले के संबंध में स्व-प्रेरणा संज्ञान मामले की सुनवाई कर रहा था, जिसके कारण कोलकाता में व्यापक विरोध और आक्रोश फैल गया था.
ये भी पढ़ें- RG Kar Case: मुख्य आरोपी संजय रॉय के दावों पर घमासान, जूनियर डॉक्टरों ने उठाए सवाल