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सिस्टम बेहाल! महाराष्ट्र में बच्चों के शव कंधे पर लेकर 15 किलोमीटर चले माता-पिता, नहीं मिली एंबुलेंस - Maharashtra Parents Carry Dead Sons - MAHARASHTRA PARENTS CARRY DEAD SONS

Parents Carry Dead Sons Back Home On Shoulders: गढ़चिरौली जिले में अंधविश्वास की आग ने दो नन्हें बच्चों की जान ले ली. जब बच्चे बुखार से पीड़ित थे उस वक्त माता-पिता ने बच्चों को लेकर किसी पुजारी के पास इलाज के लिए चले गए. जहां मामला बिगड़ गया. बाद में बच्चों को अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया.

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प्रतीकात्मक तस्वीर (ETV Bharat)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 5, 2024, 3:47 PM IST

गढ़चिरौली:महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले के पट्टीगांव से दिल को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है. यहां आदिवासी दंपती के दो बच्चों की बुखार के कारण मौत हो गई. दरअसल, बीमार से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए दंपती डॉक्टर के पास जाने के बजाय किसी पुजारी के पास चले गए. जहां कुछ ही घंटों में दोनों बच्चों की संदिग्ध मौत हो गई. मामला बिगड़ने के बाद माता-पिता अपने दोनों बच्चों को लेकर अस्पताल पहुंचे. हालांकि, तब तक काफी देर हो चुकी थी. डॉक्टरों ने दोनों बच्चों को मृत घोषित कर दिया.

जानकारी के मुताबिक, समय पर एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण, माता-पिता ने अपने दोनों बच्चों के शवों को कंधों पर उठाकर 15 किलोमीटर पैदल चलकर घर जाने को मजबूर हो गए. अंधविश्वास और इलाके में बुनियादी सुविधाओं में कमी के कारण दंपती ने अपने दोनों बच्चों को खो दिया. माता-पिता ने अपने बच्चों के शवों का पोस्टमार्टम करने से इनकार कर दिया और उन्हें कंधों पर उठाकर घर की दूरी पैदल ही तय की.

मरने वाले दोनों बच्चों के नाम बाजीराव रमेश वेलाडी (6 साल) और दिनेश रमेश वेलाडी (साढ़े तीन साल) है. जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी, आयुषी सिंह ने बताया कि, रमेश वेलाडी येरागड्डा के रहने वाले हैं.

रमेश वेलाडी अपनी पत्नी और दो बच्चों को लेकर पोलिया त्योहार के अवसर पर पट्टीगांव अपने रिश्तेदार के यहां आए हुए थे. यहां आकर दोनों बच्चे बीमार पड़ गए. खबर के मुताबिक, पुजारी द्वारा दी गई जड़ी-बूटियों से बच्चों की हाल में सुधार होने के बजाय और बिगड़ गई. बच्चों की हालत बिगड़ने के बाद रमेश वेलाडी जिमलगट्टा प्राथिमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे. हालांकि, तब तक काफी देर हो चुकी थी.

यहां अस्पताल में बच्चों के पोस्टमार्टम कराने की बात हुई तो माता-पिता ने इनकार कर दिया. वहीं एंबुलेंस मिलने में देरी होने की वजह से वेलाडी परिवार अपने बच्चों के शव को कंधों पर उठाकर नाले के पानी और कीचड़ से होते हुए अपने गांव का रास्ता तय किया. काफी दूर पैदल चलने पर वेलाडी के परिजन शव लेने दोपहिया वाहन से पहुंचे. वहीं पूरे गांव में बच्चों की मौत पर मातम पसरा हुआ है.

जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी आयुषी सिंह ने बताया कि, माता-पिता ने स्वास्थ्य विभाग के निर्देशों का पालन किए बिना बच्चों के शवों को अपने साथ ले गए. हालांकि, बच्चों का अंतिम संस्कार नहीं किया गया था, इसलिए स्वास्थ्य व्यवस्था द्वारा शवों को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल वापस लाने का प्रयास किया जा रहा है.

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