अदालत की निगरानी में SIT जांच के लिए याचिका सूचीबद्ध करने की मांग - electoral bonds scheme - ELECTORAL BONDS SCHEME
SC NGOs PIL court monitored SIT: चुनावी बांड योजना मुद्दे को लेकर दो एनजीओ की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका को सूचीबद्ध करने की मांग की गई है. याचिका में रिटायर्ज जज की निगरानी में एसआईटी का गठन कर मामले की जांच कराने की मांग की गई है.
नई दिल्ली: चुनावी बांड योजना मामले को लेकर मंगलवार को दो गैर सरकारी संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट से जनहित याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करने का आग्रह किया. इस याचिका में राजनीतिक दलों, कॉरपोरेट संस्थाओं और अधिकारियों से जुड़े कथित रिश्वत चंदा वसूली के मामलों की अदालत की निगरानी में एक विशेष जांच दल से जांच कराने की मांग की है.
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने एनजीओ 'कॉमन कॉज' और सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण की दलीलों पर ध्यान दिया कि याचिका को जल्द से जल्द सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने की जरूरत है. न्यायमूर्ति खन्ना ने भूषण से कहा कि इसे सूचीबद्ध किया जाएगा.
पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 15 फरवरी को भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई गुमनाम राजनीतिक फंडिंग की चुनावी बांड योजना को रद्द कर दिया था. गैर सरकारी संगठनों द्वारा दायर याचिका में इसे 'घोटाला' करार देते हुए अधिकारियों को 'शेल कंपनियों और घाटे में चल रही कंपनियों के वित्तपोषण के स्रोत की जांच करने का निर्देश देने की मांग की गई है. इन्होंने विभिन्न राजनीतिक दलों को दान दिया, जैसा कि आंकड़ों से पता चला है चुनाव आयोग द्वारा जारी किया गया.
याचिका में अधिकारियों को कंपनियों द्वारा 'लेन देन व्यवस्था' के हिस्से के रूप में दान किए गए धन की वसूली के लिए निर्देश देने की भी मांग की गई है, जहां यह अपराध की आय पाई जाती है. शेल कंपनियां नाम मात्र के लिए होती है. इस तरह की कंपनियां खुद कुछ नहीं करती या उसका मालिक नहीं होता है, लेकिन इसका उपयोग जानकारी या गतिविधियों को छिपाने के लिए किया जाता है.