नई दिल्ली:क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने आशंका जताई है कि हो सकता है कि 144 साल बाद होने वाला अगला महाकुंभ रेत पर आयोजित किया जाए, क्योंकि तब तक नदियां सूख सकती हैं. अपने पत्र में, सोनम वांगचुक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान हिमालय के ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने की ओर आकर्षित करने की कोशिश की, जो भारत की कई नदियों का सोर्स है.
वांगचुक ने सुझाव दिया कि भारत को अपने ग्लेशियरों के संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए. उन्होंने अपने पत्र में कहा, "भारत को ग्लेशियर संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए, क्योंकि हमारे पास हिमालय है और गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियां उनसे निकलती हैं." लद्दाख स्थित एनवायरमेंटलिस्ट ने खुद को प्रधानमंत्री की विभिन्न एनवायरमेंटल इनिशिएटिव का प्रशंसक बताया और उनसे हिमालय के ग्लेशियरों की स्थिति का आकलन करने के लिए एक आयोग गठित करने का आग्रह किया.
'हिमालय के ग्लेशियर पिघल रहे हैं'
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, "जैसा कि हम सभी जानते हैं, हिमालय के ग्लेशियर बहुत तेजी से पिघल रहे हैं और अगर यह और इसके साथ वनों की कटाई इसी दर से जारी रही, तो कुछ दशकों में गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु जैसी हमारी पवित्र नदियां मौसमी नदियां बन सकती हैं. इसका मतलब यह भी हो सकता है कि अगला महाकुंभ पवित्र नदी के रेतीले अवशेषों पर ही हो."