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सहयोगी दलों की डिमांड से बढ़ सकती है BJP की मुश्किल, नीतीश ने मांगे रेल समेत तीन मंत्रालय! - Nitish Kumar - NITISH KUMAR

NDA-JDU Nitish Kumar: लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा इस बार बहुमत से पीछे रह गई है. हालांकि, एनडीए को 292 सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत मिला है और पीएम मोदी के नेतृत्व लगातार तीसरी बार एनडीए की सरकार बनने जा रही है. लेकिन सरकार गठन से पहले सहयोगी दलों की डिमांड से भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. पढ़ें पूरी खबर.

NDA-JDU Nitish Kumar
एनडीए की बैठक में पीएम मोदी के नीतीश कुमार और अन्य नेता (ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 5, 2024, 8:44 PM IST

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम घोषित होने के बाद भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने सरकार बनाने की कवायद तेज कर दी है. दिल्ली में बुधवार प्रधानमंत्री आवास पर एनडीए के घटक दलों की बैठक हुई, जिसमें भाजपा के शीर्ष नेताओं के अलावा जेडीयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, टीडीपी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू, जनसेना पार्टी के मुखिया पवन कल्याण, शिवसेना प्रमुख-महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे, चिराग पासवान, पूर्व सीएम जीतन राम मांझी समेत कई सभी बड़े नेता शामिल हुए.

बैठक में सभी दलों ने प्रस्ताव पारित कर पीएम मोदी का एनडीए का नेता चुना, यानी एनडीए के सभी दलों ने मोदी 3.0 सरकार का समर्थन किया है. बैठक के बाद सीएम नीतीश कुमार ने यहां तक कहा डाला कि नई सरकार के शपथ ग्रणह में देरी नहीं करनी चाहिए.

वहीं, सूत्रों का कहना है कि बैठक में नई कैबिनेट को लेकर भी चर्चा हुई और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश ने तीन मंत्री पद की मांग की. नीतीश के अलावा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी दो मंत्री पद की मांग की है. शिवसेना प्रमुख शिंदे एक कैबिनेट मंत्री और एक राज्य मंत्री चाहते हैं.

जेडीयू की रेल मंत्रालय की मांग
मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि नीतीश ने मोदी 3.0 सरकार में रेल मंत्रालय की मांग की है. आपको बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री अलट बिहारी वाजपेयी की सरकार में नीतीश कुमार रेल मंत्री रह चुके हैं.

भाजपा को मिलीं 240 सीटें
लोकसभा चुनाव 2024 में इस बार भाजपा 240 सीट जीत पाई और बहुमत के आंकड़े 272 से 32 सीटें कम हैं. हालांकि भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को 292 सीटों के साथ तीसरे कार्यकाल के लिए बहुमत मिला है, लेकिन भाजपा को इस बार सरकार में बने रहने के लिए हर हाल में सहयोगी दलों को साथ लेकर चलना होगा. अगर सहयोगी दलों की डिमांड बढ़ती है तो भाजपा की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं.

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