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राष्ट्रीय गणित दिवस: बिहार के वह गणितज्ञ, जिन्होंने आइंस्टीन के सापेक्ष के सिद्धांत को दी थी चुनौती - NATIONAL MATHEMATICS DAY 2024

बिहार का वह गणितज्ञ, जिन्होंने आइंस्टीन के सिद्धांत को चुनौती दी और 'अपोलो मिशन' को तकनीकी समस्या आने पर भी अपने कैलकुलेशन से सफल बनाया.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : 10 hours ago

पटना: हर साल 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाता है, ताकि गणित के महत्व और उसकी भूमिका को समाज में बढ़ावा दिया जा सके. इस दिन, हम गणितज्ञ श्रीनिवासा रामानुजन की अद्वितीय प्रतिभा को सम्मानित करते हैं, जिन्होंने गणित के क्षेत्र में अनगिनत योगदान दिए. इस खास मौके पर हम एक और महान गणितज्ञ, डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह को याद करते हैं, जिनकी गणितीय कुशलता ने उन्हें वैश्विक पहचान दिलाई. डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह का योगदान गणित और विज्ञान के क्षेत्र में अविस्मरणीय रहेगा.

राष्ट्रीय गणित दिवस और गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह: गणितज्ञ डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह का जन्म 1942 में बिहार के भोजपुर जिले के बसंतपुर गांव में हुआ. बचपन से ही उनकी मेधा की चर्चा स्कूल में होने लगी थी. अपनी विलक्षण प्रतिभा के कारण, उन्होंने नेतरहाट स्कूल में दाखिला लिया, जो उस समय का सबसे श्रेष्ठ आवासीय विद्यालय था. 1958 में नेतरहाट की परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया और 1963 में हायर सेकेंड्री में भी उन्होंने उच्चतम अंक प्राप्त किए.

राष्ट्रीय गणित दिवस और गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह (ETV Bharat)

एक वर्ष में स्नातक और पीजी: डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह की गणित में गहरी रुचि को देखकर पटना विश्वविद्यालय ने उनके लिए नियमों में बदलाव किया. उन्होंने तीन वर्षों के बजाय एक ही वर्ष में बीएससी की डिग्री हासिल की. 1963 में जब उनके सहपाठी पहले वर्ष में थे, डॉ. वशिष्ठ ने फाइनल वर्ष की परीक्षा दी और उसी साल उन्हें एमएसी की डिग्री मिली, जिसमें वे बिहार टॉपर बने.

आइंस्टीन के सापेक्षता सिद्धांत को चुनौती : वशिष्ठ नारायण सिंह ने 1969 में "द पीस ऑफ स्पेस थ्योरी" से विश्व के गणितज्ञों को चौंका दिया था. अपनी अद्भुत गणना क्षमता के लिए उन्हें बर्कले विश्वविद्यालय ने "जीनियस ऑफ जीनियस" का दर्जा दिया. वशिष्ठ नारायण सिंह ने आइंस्टीन के सापेक्षता सिद्धांत को चुनौती दी थी, और उनकी थ्योरी पर कई अमेरिकी विश्वविद्यालयों में काम शुरू हो गया था.

डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह (ETV Bharat)

अपोलो मिशन में योगदान : अपोलो मिशन के दौरान एक तकनीकी समस्या आने पर, वशिष्ठ नारायण सिंह ने 31 बंद कंप्यूटरों की जगह गणना करके मिशन को सफल बनाया. जब कंप्यूटर ठीक हुए, तो उनकी गणना और कंप्यूटर द्वारा दी गई रिपोर्ट में कोई अंतर नहीं था. इसके बाद, बर्कले विश्वविद्यालय ने उन्हें "जीनियस ऑफ जीनियस" के तौर पर सम्मानित किया.

मानसिक बीमारी और गुमनामी की जिंदगी: 1971 में वशिष्ठ नारायण सिंह भारत लौट आए और कुछ समय बाद वे मानसिक बीमारी का शिकार हो गए. 1989 में वे गुम हो गए और 4 साल बाद 1993 में उन्हें रांची के पास एक होटल के बाहर मिले, जहाँ वह कूड़े से खाना खा रहे थे. इस घटना ने उनके जीवन को गुमनामी में डाल दिया.

हॉस्पिटल में अंतिम समय की तस्वीर (ETV Bharat)

वशिष्ठ नारायण सिंह और पवन टून : मशहूर कार्टूनिस्ट पवन टून ने वशिष्ठ नारायण सिंह के गुमनाम दिनों के बारे में लिखा था. बाद में उनकी मुलाकात हुई और पवन टून ने बताया कि वशिष्ठ नारायण सिंह की मानसिक बीमारी का कारण उनके शोधों के प्रति जुनून और पत्नी द्वारा उनका शोध नष्ट कर दिया जाना था.

बिहार में उपेक्षा और निधन : वशिष्ठ नारायण सिंह का जीवन बिहार में उपेक्षित रहा. उन्हें कभी सही सम्मान नहीं मिला. उनका निधन 14 नवंबर 2019 को हुआ, और पवन टून ने बताया कि उस दिन उनका दिल टूटा था. उन्हें यह मलाल था कि एक ऐसी बड़ी शख्सियत के साथ बिहार में कभी उचित सम्मान नहीं किया गया.

गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह के साथ कार्टूनिस्ट पवन तून (ETV Bharat)

राष्ट्रीय गणित दिवस पर हम डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह की अद्भुत गणितीय प्रतिभा और उनके योगदान को याद करते हैं. उनकी यात्रा ने यह सिद्ध किया कि गणित के क्षेत्र में भारत का योगदान विश्व स्तर पर अजेय और अनमोल हैं.

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