नई दिल्ली: राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने गुरुवार को इस साल 12 फरवरी को आयोजित एक तथ्य-खोज मिशन के बाद पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में देखी गई दयनीय स्थितियों की कड़ी निंदा की. यह पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में महिलाओं द्वारा टीएमसी नेताओं पर अत्याचार और यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए किए गए विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर आया है.
इस बीच, भाजपा विधायकों ने गुरुवार को संदेशखाली पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बयान की मांग करते हुए विधानसभा से बहिर्गमन किया, जहां टीएमसी नेताओं द्वारा स्थानीय लोगों पर कथित अत्याचार को लेकर विरोध प्रदर्शन हुआ है. महिला आयोग द्वारा गुरुवार को जारी बयान के अनुसार, एनसीडब्ल्यू की एक टीम ने क्षेत्र में महिलाओं के खिलाफ गंभीर हिंसा और धमकी की रिपोर्टों के जवाब में स्थानीय अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाई का आकलन करने के लिए संदेशखाली का दौरा किया.
चौंकाने वाली बात यह है कि टीम के निष्कर्षों से बंगाल सरकार और कानून प्रवर्तन अधिकारियों की ओर से लापरवाही और मिलीभगत का एक चिंताजनक पैटर्न सामने आया. एनसीडब्ल्यू की सदस्य डेलिना खोंगडुप ने संदेशखाली की यात्रा के दौरान स्थानीय पुलिस अधिकारियों द्वारा प्रदर्शित रवैये पर गहरी निराशा व्यक्त की.
महिला आयोग के अनुसार, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ने कथित तौर पर एनसीडब्ल्यू के साथ सहयोग करने से इनकार कर दिया और पुलिस अधीक्षक (एसपी) टीम को किसी भी प्रकार का एस्कॉर्ट या सहायता प्रदान करने में विफल रहे. एनसीडब्ल्यू ने कहा कि गांव की महिलाओं से एकत्र की गई परेशान करने वाली गवाही व्यापक भय और व्यवस्थित दुर्व्यवहार की एक भयावह तस्वीर पेश करती है.