वाराणसी:सिविल जज (सीनियर डिविजन) हितेश अग्रवाल की कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में अर्जेंट पूजा-पाठ और राग भोग सहित अन्य मांगों के वाद के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की ओर से दाखिल पोषणीयता योग्य नहीं की अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 20 मई की तिथि नियत की है.
गौरतलब है कि शैलेंद्र योगी राज की ओर से पिछले साल ज्ञानवापी परिसर में पूजा-पाठ और राग भोग करने की अनुमति मांगी थी. इसके बाद अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से वाद की पोषणीयता पर सवाल खड़ा करते हुए अर्जी देकर केस खारिज करने की मांग की गई थी. मुस्लिम पक्ष का कहना था कि ज्ञानवापी परिसर में प्लॉट नंबर-9130 पर लगभग 600 वर्ष से ज्यादा समय से मस्जिद कायम है. यहां वाराणसी और आसपास के मुस्लिम पांचों वक्त की नमाज अदा करते हैं. संसद ने दी प्लेसेज ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रॉविजन) एक्ट 1991 बनाया. इसमें प्रावधान है कि जो धार्मिक स्थल 15 अगस्त 1947 को जिस हालत में थे, वह उसी हालत में बने रहेंगे. ज्ञानवापी मस्जिद वक्फ की संपत्ति है. इससे संबंधित अधिकार यूपी सुन्नी सेंट्रल बोर्ड ऑफ वक्फ लखनऊ को है. ऐसे में इस अदालत को सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है. मुकदमा कानूनन निरस्त किए जाने लायक है.
वहीं, शैलेंद्र योगी के अधिवक्ता एसके दिवर्दी का कहना था की कोर्ट कमीशन की कार्यवाही के दौरान मिली शिवलिंग की आकृति की पूजा-पाठ, राग-भोग व आरती करना उसका सिविल अधिकार है और इसे रोका नहीं जाना चाहिए. जो आकृति मिले हैं, इसे प्रमाणित होता है कि वह मंदिर ही है. वहां अवैध निर्माण कर मस्जिद बनाई गई है. वक्फ बोर्ड ये तय नहीं करेगा कि महादेव की पूजा कहां होगी. यह भी कहा गया कि श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर एक्ट में आराजी नंबर-9130 देवता की जगह मानी गई है. सदियों से हिंदुओं को पीड़ा देना उनका उद्देश्य रहा था. मंदिरों के सारे साक्ष्य छोड़े हुए थे. मुस्लिम पक्ष की अर्जी को खारिज करते हुए वाद को सुना जाए.