देहरादून:उत्तराखंड में मदरसों में रामायण पढ़ाने का मामला तूल पकड़ने लगा है. हाल ही में उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ने फैसला लिया है कि वो जल्द ही मदरसों के माध्यम से बच्चों को रामायण का ज्ञान भी दिलवाएंगे, लेकिन उनके इस फैसले का न केवल राजनीतिक तौर पर बल्कि, खुद मुस्लिमों धर्म के जानकारों ने विरोध करना शुरू कर दिया है. जमीयत उलेमा उत्तराखंड के अध्यक्ष से लेकर राजनीति से जुड़े लोगों ने सवाल खड़े कर दिए हैं. उनका कहना है कि फैसला लिया नहीं, बल्कि थोपा जा रहा है.
जमीयत उलेमा उत्तराखंड के अध्यक्ष बोले- कौम को धर्म से दूर करने का हो रहा प्रयास:उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स ने बीते दिनों बयान दिया था कि सूबे के तमाम मदरसों में रामायण के माध्यम से श्री राम की कथा बच्चों तक पहुंचाई जाएगी. ये बयान तब आया, जब अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा हुई, लेकिन उनके बयान का अब विरोध शुरू हो गया है. जमीयत उलेमा उत्तराखंड के अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद आरिफ का कहना है कि ये फैसला लिया नहीं, बल्कि थोपा जा रहा है, जो बिल्कुल भी सही नहीं है. ऐसा करके ये लोग कौम को धर्म से दूर करना चाहते हैं.
आरिफ कड़े शब्दो में कहते हैं कि वो खुद एक मदरसे के प्रिंसिपल हैं. वो ये कभी नहीं कर पाएंगे. ऐसे में वो इस बयान और फैसले का विरोध करते हैं. ये किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर कोई फैसला लिया जाता है तो उस फैसले को लेकर पहले चर्चा होती है, फिर बोर्ड में लाया जाता है, लेकिन मुख्यमंत्री और बीजेपी के बड़े नेताओं के आगे नंबर बढ़ाने के लिए इस तरह के बयान दिए जा रहे हैं. जिसकी वो निंदा और विरोध करते हैं.
आकिल अहमद बोले- गुरुकुल में पढ़ाएं कुरान शरीफ:उधर, राजनीतिक दलों से जुड़े लोग भी इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. कभी देहरादून में कांग्रेस के बड़े मुस्लिम नेताओं में शुमार आकिल अहमद भी शादाब शम्स के विरोध में उतर आए हैं. आम इंसान विकास पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आकिल अहमद ने उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स के उन बयानों का विरोध किया है, जिसमें मदरसों में रामायण पढ़ाए जाने की बात कही गई है. अहमद ने कहा कि धामी सरकार ने मदरसों में रामायण पढ़ाने का जो बयान दिया है, वो बिल्कुल गलत है.