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मुंबई के 'डब्बावालों' की रोचक कहानी पढ़ेंगे स्कूली बच्चे, केरल के अंग्रेजी पाठ्यक्रम का हिस्सा - Mumbai Dabbawala Story in Syllabus - MUMBAI DABBAWALA STORY IN SYLLABUS

Mumbai Dabbawala: मुंबई के प्रसिद्ध 'डब्बावालों' पर केरल के 9वीं कक्षा के अंग्रेजी पाठ्यक्रम में एक चैप्टर शामिल किया गया. इससे छात्रों को इन डब्बावालों की रोचक कहानी जानने को मिलेगी.

Mumbai Dabbawala
मुंबई के डब्बावाले (ETV Bharat)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 12, 2024, 10:48 PM IST

Updated : Sep 12, 2024, 11:04 PM IST

मुंबई: महाराष्ट्र में लाखों मुंबईकरों (मुंबई के लोगों) की भूख समय पर मिटाने वाले मुंबई के डब्बावालों की स्टोरी जल्द ही केरल के घर-घर तक पहुंचेगी. राज्य सरकार ने केरल के स्कूली पाठ्यक्रम में मुंबई के डब्बावालों के बारे में जानकारी शामिल करने का फैसला किया है. डब्बावाला विषय को कक्षा 9 के अंग्रेजी पाठ्यक्रम में शामिल किया गया हैय "टिफिन कैरियर की गाथा" नामक अध्याय ह्यूग और कॉलिन गेट्जर द्वारा लिखा गया था.

130 साल से भी ज्यादा पुराना डब्बावाला व्यवसाय 1890 के दशक में शुरू हुआ था. तब से लेकर अब तक मुंबई के ये डब्बावाले लगातार मुंबई में दफ्तरों में काम करने वाले लोगों तक समय पर खाने के डिब्बे पहुंचाने का काम कर रहे हैं. मुंबई में पांच हजार से ज्यादा डब्बावाले हैं और ये हर दिन दो लाख से ज्यादा डिब्बे लोगों तक पहुंचाते हैं. इसके प्रबंधन और वितरण प्रणाली की देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सराहना की जाती है.

डब्बेवालों का सफेद कुर्ता-पायजामा, सिर पर गांधी टोपी और पैरों में कोल्हापुरी चप्पल की खास पोशाक भी लोगों के आकर्षण का केंद्र है. मुंबई के डब्बेवालों की ख्याति पूरे देश में फैल चुकी है. केरल राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने डब्बेवालों की स्टोरी को 2024 के अपने नए पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया है. इसमें डब्बेवालों के पूरे इतिहास, उनकी पोशाक, उनकी सेवा, उनके प्रबंधन और वितरण प्रणाली पर ध्यान केंद्रित किया गया है.

इस अध्याय में डब्बेवालों के पूरे प्रबंधन और उनके रहन-सहन पर प्रकाश डाला गया है. डब्बेवाला संगठन के प्रवक्ता विष्णु कालदुके ने इस बारे में बात करते हुए कहा कि, वे केरल जैसे राज्य के बहुत आभारी हैं कि उन्होंने उनकी ओर ध्यान दिया. उनके पास प्रचार-प्रसार की कोई कमी नहीं है लेकिन उनकी दिल से इच्छा है कि डब्बावालों के प्रबंधन और प्रणाली के बारे में जानकारी दूर-दूर तक फैले.

मुंबई के डब्बेवालों ने केरल के शिक्षा विभाग को एक मेल भेजकर मुंबई के डब्बेवालों की प्रथाओं को केरल के स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद व्यक्त किया है. मुंबई के डब्बावालों ने पहले भी वैश्विक स्तर पर बिजनेस स्कूलों और शोधकर्ताओं का ध्यान आकर्षित किया है. मुंबई के डब्बावालों पर आधारित फिल्मों, वृत्तचित्रों, किताबों और शोधों ने उनके काम को दुनिया भर में और अधिक विस्तार से जाना है. यही नहीं, 2019 में कलाकार अभिजीत किनी ने उन पर एक कॉमिक बुक भी बनाई है.

केरल के पय्यानूर में विद्या मंदिर पब्लिक स्कूल की शिक्षिका रानी के कहती हैं कि, मुंबई के डब्बों का इतिहास केरल की पाठ्यपुस्तक में शामिल करना हमारे लिए बहुत गर्व की बात है. मुंबई के डब्बों की ख्याति सात समंदर पार तक है. मुंबई के डब्बों का इतिहास बहुत ही दिलचस्प है और उनकी सेवा किसी भी परिस्थिति में नहीं रुकती. वे लाखों लोगों को समय पर डिब्बे पहुंचाने का काम तो कर ही रहे हैं, साथ ही उनका प्रबंधन और कार्यप्रणाली भी उल्लेखनीय है. केरल के स्कूली छात्रों को डब्बों के जीवन पर आधारित पाठ्यपुस्तक पाठ्यक्रम से निश्चित रूप से मदद मिलेगी.

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Last Updated : Sep 12, 2024, 11:04 PM IST

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