मुंबई : बंबई हाई कोर्ट ने शहर में 1993 के सिलसिलेवार बम धमाकों में इस्तेमाल विस्फोटकों की खेप उतराने की अनुमति देने के आरोप में केंद्रीय उत्पाद शुल्क के दो तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश के करीब 20 साल बाद उन्हें राहत दे दी. मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ ने अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश रद्द करते हुए कहा कि विभागीय जांच में दोनों (अब सेवानिवृत्त) अधिकारियों के खिलाफ आरोप साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं मिला.
हाई कोर्ट ने चार मार्च को दिए अपने फैसले में कहा कि केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग के सेवानिवृत्त अधीक्षक एस एम पडवाल और यशवंत लोटाले वेतन और पेंशन का बकाया जैसे सभी लाभों के हकदार होंगे जिनका भुगतान उन्हें दो महीने के भीतर किया जाए. मुंबई में 12 मार्च 1993 को अलग-अलग स्थानों पर 12 बम विस्फोट हुए थे जिसमें 257 लोगों की मौत हो गयी थी और 700 से अधिक लोग घायल हुए थे.
बाद में एक विशेष अदालत ने मामले में 100 लोगों को दोषी ठहराया था और 23 अन्य को बरी कर दिया था. हाई कोर्ट ने कहा कि पडवाल और लोटाले ने मामले में किसी आपराधिक मुकदमे का सामना नहीं किया. उसने कहा कि कथित तौर पर उपलब्ध सबूत के आधार पर उनके खिलाफ आरोप साबित नहीं होते हैं. अदालत ने कहा, 'हमारा निर्विवाद निष्कर्ष है कि यह एक ऐसा मामला है जहां कोई सबूत नहीं है और परिणामस्वरूप दंड देने का आदेश पारित करते समय अनुशासनात्मक प्राधिकारी द्वारा निकाला गया निष्कर्ष गलत है.'