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'सभी साइटें निलंबित, IAS अधिकारी करेंगे जांच', MUDA साइट घोटाला मामले पर बोले सिद्धारमैया - Muda sites allotment case - MUDA SITES ALLOTMENT CASE

Muda sites allotment case: मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण में हजारों करोड़ रुपये की अनियमितताएं होने का आरोप लगा है. इतना ही नहीं मुडा की संपत्ति को सीएम सिद्धारमैया की पत्नी के नाम पर अवैध रूप से हस्तांतरित करने का आरोप है.

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सीएम सिद्धारमैया (ETV Bharat)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 3, 2024, 5:49 PM IST

बेंगलुरु:मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) साइटों के आवंटन मामले को लेकर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि, सभी साइटें निलंबित हैं. उन्होंने कहा कि यह पता लगाने के लिए जांच चल रही है कि मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) साइटों के आवंटन में कोई दुरुपयोग हुआ था या नहीं. उन्होंने कहा कि, सभी साइटें निलंबित हैं, इसलिए सरकार को कोई नुकसान नहीं है. जिन लोगों को साइटें आवंटित की गई हैं, उनका स्थानांतरण किया जा रहा है और वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों द्वारा जांच की जा रही है. रिपोर्ट मिलने के बाद निर्णय लिया जाएगा.

विश्व पर्यावरण दिवस के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद मुख्यमंत्री मीडिया से बात करते हुए इस बात की जानकारी दी. मुडा साइटों के आवंटन में दुरुपयोग के भाजपा के आरोप और मामले को सीबीआई को सौंपने की मांग पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, 'वे सब कुछ सीबीआई को सौंपने के लिए क्यों कह रहे हैं? जब भाजपा सत्ता में थी तो कौन सा मामला सीबीआई को सौंपा गया था? उन्होंने कहा कि, भाजपा ने जमीन देने वालों को वैकल्पिक जगह देने का कानून बनाया.

मामले में मेरी कोई भूमिका नहीं
मामले में विपक्ष के नेता आर अशोक के सीएम को इस्तीफा देने वाले बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए मीडिया से पूछा कि, इस मामले में उनकी क्या भूमिका है? उन्होंने कहा, 'अगर मैंने कर्तव्य में लापरवाही की बात कही तो क्या आर अशोक इस्तीफा देंगे? अपने कार्यकाल के दौरान, उन्हें अदालत से जमानत मिल गई जब उन पर अकर्मा-सकरामा ठीक से नहीं करने का आरोप लगाया गया.. अगर मैं उनसे इस्तीफा देने के लिए कहूं, तो क्या वह इस्तीफा दे देंगे?'

वाल्मीकि एसटी निगम बोर्ड घोटाले की जांच
वाल्मिकी एसटी निगम बोर्ड घोटाले के खिलाफ बीजेपी के विरोध प्रदर्शन के बारे में बात करते हुए सीएम ने कहा, 'वाल्मीकि निगम का मामला एसआईटी को सौंपा गया है और जांच चल रही है. उन्होंने कहा कि, उन्होंने मंत्री नागेंद्र से इस्तीफा देने को कहा था, जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया, क्योंकि डेथ नोट में लिखा था कि मंत्री ने प्रबंध निदेशक को बैंक के मामलों की जांच करने का मौखिक आदेश दिया था.' वहीं, मंत्री शरण प्रकाश पाटिल और विधायक बसनगौड़ा दद्दल के भी शामिल होने के आरोपों के जवाब में उन्होंने कहा कि, उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया जाना चाहिए. ऐसे ही आरोपों के कारण एसआईटी का गठन किया गया था और इसको लेकर एक जांच रिपोर्ट आनी चाहिए.

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