बेंगलुरु: मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) में भूखंड के अवैध आवंटन के आरोपों के बाद मुडा के चेयरमैन के. मरिगौड़ा ने पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने बुधवार को बेंगलुरु में शहरी विकास विभाग की सचिव दीपा चोलन से मुलाकात की और अपना त्यागपत्र सौंपा.
मुडा भूमि घोटाले से जुड़े आरोपों के संबंध में कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया और उनकी पत्नी के खिलाफ चल रही लोकायुक्त जांच के बीच मरिगौड़ा ने इस्तीफा दिया है. मरिगौड़ा ने कहा कि सीएम द्वारा इस्तीफा देने के सुझाव के बाद उन्होंने MUDA चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने कहा, मैंने इस्तीफा इसलिए दिया है क्योंकि मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं है. शहरी विकास मंत्री ने मुझ पर इस्तीफा देने का दबाव नहीं बनाया है.
मरिगौड़ा की सफाई
उन्होंने कहा, मुडा में गड़बड़ी के आरोपों की जांच की जा रही है. मैं अभी इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा. भूमि आवंटन के मामले में सीएम ने मुझ पर कोई दबाव नहीं डाला. जांच में सच्चाई सामने आ जाएगी. मैंने बीमारी के कारण स्वेच्छा से इस्तीफा दिया. मैंने किसी दबाव में इस्तीफा नहीं दिया.
उन्होंने कहा, सीएम सिद्धारमैया हमारे नेता हैं. मैं 40 साल से सिद्धारमैया के साथ हूं. उन्होंने मुझे तालुका और जिला पंचायत का अध्यक्ष बनाया. सिद्धारमैया ने कभी भी अवैध काम करने के लिए नहीं कहा. सीएम ने मुडा मुद्दे पर भी दबाव नहीं डाला. मुझे दो बार स्ट्रोक आ चुका है और मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं है. इसलिए मुडा अध्यक्ष पद पर बने रहने में असमर्थ हैं.
क्या है मामला
मुडा भूखंड आवंटन मामले में आरोप लगाया गया है कि मैसूरु (विजयनगर लेआउट तीसरे और चौथे चरण) के एक अपमार्केट क्षेत्र में सिद्धारमैया की पत्नी को जमीन के बदले में 14 भूखंड आवंटित किए गए, जिनकी संपत्ति का मूल्य उनकी जमीन के स्थान की तुलना में अधिक था, जिसका मुडा ने अधिग्रहण किया था.
मुडा ने पार्वती को 50:50 अनुपात योजना के तहत उनकी 3.16 एकड़ जमीन के बदले 14 प्लॉट आवंटित किए थे, जहां उन्होंने आवासीय लेआउट विकसित किया था. विवादास्पद योजना के तहत, MUDA ने आवासीय लेआउट बनाने के लिए उनसे अधिग्रहित अविकसित भूमि के बदले में भूमि खोने वालों को 50 प्रतिशत विकसित भूमि आवंटित की. आरोप है कि मैसूरु तालुक के कसाबा होबली के कसारे गांव के सर्वेक्षण संख्या 464 में इस 3.16 एकड़ भूमि पर पार्वती का कोई कानूनी अधिकार नहीं था.
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