गयाःबिहार केगया में लोग रिश्तेदार से फोन पर बात करने के लिए पेड़ पर चढ़ जाते हैं. दरअसल, इस गांव में मोबाइल टावर नहीं है. आप सोंच रहे होंगे कि डिजिटल इंडिया के जमाने में मोबाइल नेटवर्क नहीं है? जी हां, यही सच है. यहां के लोग मोबाइल को नेटवर्क से जोड़ने के लिए पेड़ों का सहारा लेते हैं. जिसके पास फोन नहीं है वे दूर-दूर तक एसटीडी बूथ जाते हैं.
गया में मोबाइल नेटवर्क की समस्या: गया के इमामगंज, बाराचट्टी, फतेहपुर, डुमरिया सहित कई इलाके हैं जहां मोबाइल टावर नहीं है. इमामगंज प्रखंड के खड़ाऊ, लूटीटांड़ जैसे इलाके हैं जहां मोबाइल का नेटवर्क नहीं रहता है. मोबाइल घर का शोभा बढ़ा रहा है. लोग मोबाइल नेटवर्क के लिए पहाड़, उंचे चट्टान या पेड़ों का सहारा लेते हैं. तब जाकर नेटवर्क मिलता है. इसके बावजूद ठीक से बातचीत नहीं हो पाती है.
'देश दुनिया से अनजान':स्थानीय लोग बताते हैं कि गांव में नेटवर्क नहीं रहने से लोग देश दुनिया से अनजान रहते हैं. किसी से बात करनी होती है तो ऊंचे पहाड़ों और पेड़ों पर चढ़ना पड़ता है. पेड़ पर चढ़ने के बाद ही किसी से संपर्क हो पाता है. लोगों ने बताया कि नेटवर्क नहीं होने से मोबाइल एक खाली डब्बा के समान लगता है. काम में काफी परेशानी होती है. इससे पहले भी साल 2022 में ईटीवी भारत ने गया के इलाके में नेटवर्क की समस्या के बारे में लिखा था लेकिन लोगों को परेशानी से छुटकारा नहीं मिला.
"5G का जमाना है लेकिन हम लोग काफी पीछे हैं. इसका कारण दूर संचार की व्यवस्था का नहीं होना है. काम छोड़कर मोबाइल का नेटवर्क पकड़वाते हैं. दुनिया से कटे रहते हैं. हमारा विकास मोबाइल नेटवर्क नहीं होने के कारण असंभव है. फोन आने से आधा घंटा पहले ही पेड़ पर जढ़ जाते हैं. हमलोग खड़ाऊं गांव के हैं. बगल में लूटीटांड़ में मोबाइल का टावर लगाने की बात हो रही है."- उपेंद्र कुमार सिंह, स्थानीय
स्थानीय अर्जुन भोक्ता बताते हैं कि वे मोबाइल से बात करने के लिए पेड़ों पर चढ़ते हैं. ऊंचे-ऊंचे चट्टानों पर चढ़ना पड़ता है तब जाकर बात होती है. 'जान जोखिम में डालना पड़ता है तब जाकर देश दुनिया में क्या चल रहा है इसके बारे में जानकारी मिलती है. नेटवर्क नहीं रहने के कारण मोबाइल की घंटियां नहीं बजती है.'