नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 'डिजिटल अरेस्ट' को संगठित ऑनलाइन आर्थिक अपराध बताया है और मंगलवार को ऐसे अपराध के खिलाफ देशव्यापी अलर्ट जारी किया है. गृह मंत्रालय के मुताबिक, सीमा पार बैठे आपराधी इस सिंडिकेट को संचालित कर रहे हैं. मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इन आपराधियों के कारण देश भर में कई पीड़ितों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. यह संगठित ऑनलाइन आर्थिक अपराध है और ऐसा पता चला है कि सीमा पार बैठे अपराधी गिरोह द्वारा संचालित किया जा रहा है.
दरअसल, कुछ दिन पहले ही ईटीवी भारत ने एक खबर प्रकाशित की थी कि कैसे ऑनलाइन क्राइम सिंडिकेट और जालसाज 'डिजिटल अरेस्ट' के जरिए लोगों के साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं. अब गृह मंत्रालय ने नागरिकों से इस प्रकार की धोखाधड़ी के बारे में सतर्क रहने और जागरूकता फैलाने की अपील की है. बयान में कहा गया है कि फ्रॉड कॉल आने पर नागरिकों को तुरंत सहायता के लिए साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 या www.cybercrime.gov.in पर घटना की सूचना देनी चाहिए.
नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर साइबर अपराधियों द्वारा धमकी, ब्लैकमेल, जबरन वसूली और 'डिजिटल अरेस्ट' के संबंध में बड़ी संख्या में शिकायतें दर्ज कराई जा रही हैं. ये अपराधी खुद को पुलिस, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), नारकोटिक्स विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), प्रवर्तन निदेशालय और अन्य जांच एजेंसियों के अधिकारी बताते हैं और लोगों से जबरन वसूली करते हैं. गृह मंत्रालय ने कहा कि साइबर अपराधी आम तौर पर लोगों को फोन करते हैं और बताते हैं कि उसने पार्सल भेजा है या वह ऐसा पार्सल रिसीव किया है, जिसमें अवैध सामान, ड्रग्स, नकली पासपोर्ट या कोई अन्य प्रतिबंधित वस्तु है.