उत्तराखंड: मई डे पर सिलक्यारा के उन 41 श्रमिकों को सेल्यूट जो 17 दिन तक सुरंग में फंसने के बाद भी हिम्मत और हौसला बनाए रखते हुए मौत को हराकर विजेता बनकर लौटे. 41 फाइटर श्रमिकों की ये कहानी उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बन रही सिलक्यारा टनल से जुड़ी हुई है.
पिछले साल दीपावली के दिन हुआ था सिलक्यारा टनल हादसा:12 नवंबर 2023 को दीपावली की सुबह थी. पूरा देश दीपावली मनाने की तैयारी कर रहा था. पटाखे खरीदे जा रहे थे. मिठाइयां तैयार हो रही थीं. हर कोई अपने-अपने तरीके से दीपावनी मनाने की तैयारी कर रहा था. तभी उत्तराखंड के उत्तरकाशी में धरासू से यमुनोत्री के लिए तैयार हो रही सड़क को जोड़ने के लिए बन रही सिलक्यारा-बड़कोट सुरंग का एक हिस्सा धंस गया. सुरंग के मलबे से बाहर निकलने का रास्ता पूरी तरह बंद हो गया. सुरंग में काम कर रहे 41 मजदूर अंदर फंस गए.
टनल के अंदर फंस गए थे 41 मजदूर:अंदर न तो पानी भेजने की सुविधा ना खाना भेज पा रहे थे. यहां तक कि उन मजदूरों से बात तक नहीं हो पा रही थी. इस घटना की सूचना उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल से देहरादून होते हुए दिल्ली पहुंची तो पूरे देश में हड़कंप मच गया. खुद पीएम मोदी और उनके ऑफिस ने सिलक्यारा टनल हादसे का संज्ञान लिया. पीएम मोदी ने पूरे देश को आश्वस्त किया कि हम रेस्क्यू ऑपरेशन में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे और सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों को सकुशल निकाल लाएंगे.
मजदूरों को बचाने के लिए चला था दुनिया का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन:इसके बाद शुरू हुआ सिलक्यारा टनल में दुनिया का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन. केंद्र के साथ उत्तराखंड सरकार 41 मजदूरों के लिए चलाए जा रहे इस रेस्क्यू को लेकर इतनी संजीदा थी कि सीएम धामी ने सिलक्यारा में ही कैंप ऑफिस बना लिया. पीएम मोदी हर सुबह शाम उनसे रेस्क्यू ऑपरेशन पर अपडेट लेते और सीएम धामी पल-पल की जानकारी पीएम मोदी को देते. पूरे देश के साथ ही दुनिया भर की नजर उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल रेस्क्यू पर जमी हुई थी. देश-दुनिया का मीडिया सिलक्यारा टनल के बाहर जमावड़ा लगाया हुआ था.