दिसपुर:केंद्र सरकार ने सोमवार को पूरे देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लागू करने की अधिसूचना जारी की है. इसके विरोध में राज्य के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. CAA को लागू करने के फैसले के प्रति लोगो की नाराजगी साफ झलक रही है और इसे राज्य भर में समाज के व्यापक वर्ग से आलोचना का सामना भी करना पड़ रहा है.
वहीं, सीएए नियमों के खिलाफ विरोध जताते हुए असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) ने कहा कि ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू), असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद (एजेवाईसीपी) और असम के अन्य सभी संगठन सीएए के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़ेंगे. यदि आवश्यक हुआ, तो पार्टी विवादास्पद अधिनियम के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाएगी.
असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) के अध्यक्ष भूपेन बोरा ने कहा कि सीएए असंवैधानिक है. यह ऐतिहासिक असम समझौते के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है. बोरा ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी (बीजेपी) लोकसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक लाभ लेना चाहती है और इसीलिए उन्होंने आदर्श आचार संहिता की घोषणा से ठीक पहले सीएए को अधिसूचित किया है.
उन्होंने आगे कहा कि असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने पहले कहा था कि वह 1971 के बाद सीमा पार से असम में आने वाले लोगों को कभी अनुमति नहीं देंगे. वास्तव में, बांग्लादेशियों का निर्वासन भाजपा के मुख्य एजेंडे में से एक है. उन्होंने कहा कि असम में कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष एकजुट होकर बड़े पैमाने पर सीएए विरोधी आंदोलन शुरू करेगा.
सोमवार देर रात कई कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के छात्र संगठनों ने इस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया. वहीं मंगलवार की सुबह भी नाराज लोग सड़कों पर नजर आए. जानकारी के मुताबिक असम के कई जगहों जैसे तिनसुकिया, मोरान, जोनाई, बोकाखाट, गोलाघाट, शिवसागर पर सीएए के विरोध में नारे लगाए गए. लोगों ने न सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के पुतले जलाए बल्कि उनको चेतावनी भी दी.
इसके अलावा प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं ने उस अधिनियम को रद्द करने की पुरजोर मांग भी की. इस बीच ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) के महासचिव शंकरज्योति बरुआ ने सीएए को अपनाने के तुरंत बाद रात में दुलियाजान में प्रतिक्रिया व्यक्त की. शंकरज्योति बरुआ ने कहा, 'आज से हर जिले का छात्र संघ 30 आदिवासी संगठनों के साथ मिलकर रैलियां निकालेगा. एएएसयू नेतृत्व सीएए के खिलाफ श्रृंखलाबद्ध विरोध प्रदर्शन आयोजित करने के लिए 30 जनजातियों के संगठनों के साथ भी बातचीत करेगा.
एएएसयू महासचिव शंकरज्योति बरुआ ने यह भी घोषणा की कि ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन सीएए के खिलाफ सड़क पर आंदोलन और कानूनी लड़ाई शुरू करेगा, भले ही पुलिस की ओर से बाधा उत्पन्न हो. इसके अलावा बरुआ ने लोगों से मोदी सरकार के खिलाफ वोट करने का आग्रह किया, उनके हिसाफ़ से जो सीएए लागू करके असमिया लोगों को खत्म करने की कोशिश कर रही है.