मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / bharat

बड़वानी में मौजूद है राजघाट, नर्मदा नदी में बापू सहित तीन हस्तियों की अस्थियां हुई थी प्रवाहित - Barwani Second Rajghat

देश में दूसरा राजघाट ब़ड़वानी जिले में मौजूद है. यहां नर्मदा में बापू की अस्थियां प्रवाहित की गई थी. हालांकि बाद में ये राजघाट सरदार सरोवर बांध में डूब में आ गया. जिसके बाद कुकरा बसाहट नामक इलाके में नया राजघाट बनाया गया. लंबे समय तक यह राजघाट बन ही नहीं सका.

BARWANI SECOND RAJGHAT
नर्मदा नदी में बापू सहित तीन हस्तियों की अस्थियां हुई थी प्रवाहित (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 1, 2024, 9:57 PM IST

बड़वानी: 2 अक्टूबर को देशभर में राष्ट्रपति महात्मा गांधी की जन्मतिथि मनाई जाएगी. हम सब जानते हैं कि देश की आजादी में महात्मा गांधी का सबसे बड़ा योगदान है. राष्ट्रपति की जयंती से पहले आपको महात्मा गांधी से जुड़े किस्से कहानियां सुनने मिल रही है. इसी क्रम में हम आपको राजघाट के बारे में बताएंगे जो, मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में स्थित है. जिला मुख्यालय से मात्र 5 किलो मीटर दूर राजघाट जो फिलहाल जलमग्न है. यहां दिल्ली के बाद महात्मा गांधी, कस्तूरबा गांधी सहित नर्मदा पार जुड़े टलवई के स्वतंत्रता सेनानी महादेव देसाई की अस्थियां लाई गई थी.

बता दें उस वक्त टलवई के ही काशीनाथ द्विवेदी इन तीनों की अस्थि कलश लेकर सन 1964 में बड़वानी नर्मदा किनारे लाए थे. जहां उनकी अस्थि कलश रख, उस क्षेत्र का नाम राजघाट दिया था. तब से राजघाट नाम से बापू के स्मारक बड़वानी में मौजूद था, लेकिन 27 जुलाई 2017 को सरदार सरोवर बांध के डूब की जद में आने के बाद रातोरात कस्तूरबा गांधी, महात्मा गांधी और महादेव देसाई की अस्थियां वहां से निकालकर कुकरा बसाहट में स्थापित की गई. बुधवार यानि 2 अक्टूबर को इस जगह पर धूमधाम से गांधीजी की जयंती मनाई जाएगी. एनबीए कार्यकर्ता राहुल यादव का कहना है कि 'इतना समय बीत जाने के बाद भी बापू के स्मारक पर जो सुविधाएं होनी चाहिए. वो आज तक पूरी नहीं हो पाई है.

गांधीजी की समाधि (ETV Bharat)

सेवक के रूप में महादेव भाई देसाई है मिसाल

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 25 साल तक सचिव रहे महादेव भाई देसाई के बारे में उस समय के सभी प्रबुद्धजन और महात्मा गांधी के सम्पर्क में आने वाले सभी लोग एक स्वर में यही कहते थे कि- "सेवक हो तो महादेव भाई देसाई जैसा". महादेव भाई देसाई बापू के सचिव ही नहीं उनके परिवार के एक सदस्य भी थे. गुजरात में सूरत के पास एक छोटे-से गांव सरस में जन्मे महादेव भाई देसाई ने 1917 में महात्मा गांधी के सचिव के रुप में काम करना आरम्भ किया था.

1942 में जब पूणे के आगा खां महल में दिल का दौरा पड़ने पर उनका निधन हुआ, तब भी वे महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी के साथ ही थे. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और राष्ट्रवादी लेखक महादेव भाई देसाई एक कुशल सम्पादक भी थे. उन्होंने 1921 में आंग्ल भाषाई अखबार "इण्डिपेन्डेन्ट" का सम्पादन आरम्भ किया था. महादेव भाई ने बापू के अखबार- "हरिजन" और कुछ सालों तक "नवजीवन" का सम्पादन भी किया.

बड़वानी गांधी स्मारक (ETV Bharat)

नर्मदा बचाओ के कार्यकर्ता पहुंचेंगे बापू के स्मारक

एनबीए कार्यकर्ता राहुल यादव ने बताया कि 2 अक्टूबर पर बड़ी संख्या में यहां पर प्रशासन के आला अधिकारी और नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता पहुंचेंगे. जो गांधीजी के स्मारक पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. इस दौरान नर्मदा बचाओ आंदोलन की एक छोटी सी जनसभा भी वहां पर होगी.

यहां पढ़ें...

महात्मा गांधी ने जब कराई अपनी तस्वीर लगी चांदी ट्रे पानदान की नीलामी, क्यों लगी 11 रुपये बोली

महात्मा गांधी ने जब कराई अपनी तस्वीर लगी चांदी ट्रे पानदान की नीलामी, क्यों लगी 11 रुपये बोली -

महात्मा गांधी सहित तीन लोगों की भस्मि संचित है यहां

महात्मा गांधी व उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी और महात्मा गांधी के सचिव रहे महादेव भाई देसाई के निधन के बाद तीनों के भस्मावशेष इस समाधि स्थल में संचित है. बापू की भस्मियां तो देश में एकाधिक स्थान पर संचित है और कस्तूरबा गांधी और महादेव भाई देसाई की भस्मियां भी पूणे के आगा खां महल में दो अलग-अलग समाधि के रुप में संचित है. मगर एक साथ बा-बापू और उनके अनन्य सेवक महादेव भाई देसाई की भस्मियां केवल बड़वानी कस्बे के राजघाट में ही संचित है. इस समाधि स्थल पर लगे शिलालेख में समाधि से जुड़े तिथिवार ब्यौरे के अलावा एक सूक्ति भी लिखी है कि यह स्मारक हमें सत्य प्रेम और करुणा की प्रेरणा दे.

ABOUT THE AUTHOR

...view details