देहरादून:पाकिस्तान को 2 युद्धों में धूल चटाने वाली भारतीय वायु सेना का हिस्सा रहे पायलट बाबा अब नहीं रहे. पायलट बाबा का आज निधन हो गया है. पायलट बाबा देश के बड़े संतों में एक थे. वो श्री पंचदश नाम जूना अखाड़े के वरिष्ठतम महामंडलेश्वर भी थे. आज मुंबई के एक अस्पताल में उनका निधन होने से जूना अखाड़े सहित समस्त संत समाज व अखाड़े में शोक की लहर व्याप्त है.
जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्री महंत हरी गिरी महाराज के निर्देश पर जूना अखाड़े की पूरे प्रदेश में स्थित सभी शाखाओं, आश्रमों और मुख्य पीठों पर शोक सभा व शांति पाठ का आयोजन किया जा रहा है. जूना अखाड़े द्वारा तीन दिन का शोक घोषित किया गया है. इन तीन दिनों में पायलट बाबा की आत्मा की शांति के लिए शांति पाठ हवन तथा विशेष पूजा अर्चना की जाएगी.
श्री महंत हरी गिरी महाराज ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि पायलट बाबा एक सच्चे योगी थे व समाज की देश की सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहते थे. वह 1974 में विधिवत दीक्षा लेकर जूना अखाड़े में शामिल हुए और अपनी सन्यास यात्रा प्रारंभ की. उन्होंने कहा पायलट बाबा जूना अखाड़े के विभिन्न पदों पर रहते हुए अखाड़े की उन्नति प्रगति विकास के लिए हमेशा कार्यरत रहे.
भारतीय वायु सेना में विंग कमांडर थे संत:संन्यास लेने से पहले पायलट बाबा भारतीय वायु सेना में विंग कमांडर थे. पायलट बाबा को वायु सेना का पायलट होने के कारण संन्यास लेने पर इसी नाम से प्रसिद्धि मिली. उन्होंने 1962, 1965, 1971 के युद्ध में भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर के पद पर रहते हुए भाग लिया था. इन युद्धों में उन्होंने फाइटर पायलट की भूमिका निभाई थी. उन्होंने पाकिस्तान के साथ 1965 और 1971 में हुए दो युद्धों में हिस्सा लिया था. दोनों युद्धों के सफल अभियान के बाद उन्होंने संन्यास ले लिया और पायलट बाबा के नाम से प्रसिद्ध हुए.
साल 1998 में महामंडलेश्वर पद पर आसीन होने के बाद उन्हें 2010 में उज्जैन में प्राचीन जूना अखाड़ा शिवगिरी आश्रम नीलकंठ मंदिर में जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर पद पर अभिषिक्त किया गया था. श्री महंत हरी गिरी महाराज ने कहा कि पायलट बाबा की अंतिम इच्छा के अनुसार उन्हें उत्तराखंड की पावन भूमि में समाधि दी जाएगी.