लखनऊ: Mukhtar Ansari Criminal History: माफिया मुख्तार अंसारी का रुतबा वर्ष 1993 से 2021 तक इस कदर था कि जेल में रहते हुए भी वह सड़कों पर आए दिन अपने काफिले के साथ दिख ही जाता था. कभी इलाज के नाम पर जेल से अस्पताल आया तो मॉल पहुंच जाता था.
कभी पेशी पर आया तो अपने काफिले को लेकर डीजीपी के घर पहुंच गया. जब उसकी इस करतूत को पत्रकारों ने लोगों को दिखाने के लिए फोटो खींची तो उसे गाड़ी में ही खींच लेता था. ऐसा ही किस्सा लखनऊ में लंबे समय तक एसएसपी रहे पूर्व आईपीएस राजेश पाण्डेय ने ईटीवी भारत को बताया.
पत्रकार ने मुख्तार की फोटो खींची तो एम्बुलेंस में खींचकर पीटा: पूर्व आईपीएस अफसर राजेश पाण्डेय बताते हैं कि, वर्ष 2016 की बात है, मुख्तार अंसारी लखनऊ जेल में बंद था और इलाज के लिए वह मेडिकल कॉलेज जा रहा था. इस दौरान उसके काफिले में सात एंबुलेंस, 786 नंबर की कई गाड़ियां थीं.
उसका काफिला जैसे ही हजरतगंज चौराहे पर पहुंचा रेड लाइट हो चुकी थी, लिहाजा गाड़ियां रुक गईं. इसी जगह कई मीडिया कर्मी भी मौजूद थे. ऐसे में एक फोटोग्राफर ने मुख्तार अंसारी की फोटो खींचने के लिए काफिले में मौजूद एक एंबुलेंस के अंदर झांका. जैसे ही फोटोग्राफर ने खिड़की से अंदर अपना सिर डाला, अंदर मौजूद मुख्तार के गुर्गों ने उसे खींच लिया और उसकी पिटाई कर तीन किलोमीटर दूर फेंक दिया.
राजेश पाण्डेय कहते हैं कि तब वह लखनऊ के एसएसपी थे. लिहाजा पत्रकार उनके पास शिकायत करने आए तो उन्होंने तत्काल एफआईआर दर्ज करने के लिए तहरीर मांगी. लेकिन, पत्रकारों ने तहरीर देने से मना कर दिया. पांडेय कहते हैं, पत्रकारों का डर समझ उन्होंने हजरतगंज के एक सिपाही से मुकदमा दर्ज करवाया और उसके गुर्गों के घर दबिश शुरू की. हालांकि, बाद में कुछ दबाव में पत्रकारों ने अपनी शिकायत वापस ले ली.
काफिला लेकर मुख्तार पहुंच गया था DGP आवास:पूर्व एसएसपी कहते हैं कि मुख्तार अंसारी को अपने काफिले में एंबुलेंस रखना हमेशा पसंद रहा. वह जब भी जेल से बाहर आता था, अपने काफिले में एक दो एम्बुलेंस जरूर रखता था.