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मदुरै: चिथिराई महोत्सव की धूम, भगवान कल्लाझागर ने वैगई नदी में किया प्रवेश - Chithirai festival celebrated - CHITHIRAI FESTIVAL CELEBRATED

Chithirai festival celebrated : परमकुडी में श्री सुंदरराज पेरुमल मंदिर में वार्षिक चिथिराई उत्सव मंगलवार को उत्साह और उल्लास के साथ मनाया गया. पढ़ें पूरी खबर...

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 23, 2024, 7:35 PM IST

Updated : Apr 23, 2024, 8:00 PM IST

मदुरै: चिथिराई महोत्सव की धूम, भगवान कल्लाझागर ने वैगई नदी में किया प्रवेश

मदुरै: तमिलनाडु के प्राचीन और गौरवशाली शहर मदुरै में मनाया जाने वाला चिथिराई त्योहार विश्व प्रसिद्ध है. ये महोत्सव भगवान सुंदरेश्वर (भगवान शिव) और भगवान विष्णु की बहन मानी जाने वाली देवी मीनाक्षी के दिव्य मिलन के लिए मनाया जाता है. इस साल का चिथिराई उत्सव 12 अप्रैल को ध्वजारोहण के साथ शुरू हुआ था. 15 दिनों तक चलने वाले इस चिथिराई महोत्सव की शुरूआत मदुरै के मीनाक्षी अम्मन मंदिर से हुई. नए साल के रूप में मनाए जाने वाले इस पर्व को लेकर मदुरै में जश्न का माहौल है.

आज मंगलवार को सुबह के समय में लाखों भक्तों के 'गोविंदा गोविंदा' के गूंजते मंत्रों और 'वररु वरारु अलगर वरारु' के साथ वक्ताओं के शोर के बीच, पारंपरिक हरे रेशम में लिपटे, अपने सुनहरे घोड़े वाहन पर सवार होकर भगवान कल्लाझागर ने मदुरै में वैगई नदी में प्रवेश किया.

मदुरै: चिथिराई महोत्सव की धूम, भगवान कल्लाझागर ने वैगई नदी में किया प्रवेश

चिथिराई उत्सव के हिस्से के रूप में अलागर पहाड़ियों से मदुरै तक भगवान कल्लालगर की जुलूस मदुरै का सबसे बड़ा त्योहार है. पूरे जुलूस के दौरान लाखों लोग अनुष्ठानों में शामिल होने के लिए आयोजन स्थलों पर एकत्र होंते है. जुलूस की अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं में, मंगलवार सुबह देवता का वैगई नदी में प्रवेश हुआ.

सैकड़ों मंडागपदी (जुलूस पथ पर कुल मिलाकर 460 से अधिक मंडगपदी हैं) का दौरा करने के बाद, भगवान कल्लालगर को सोमवार की रात तक स्वर्ण पालकी में तल्लाकुलम के अरुल्मिगु प्रसन्ना वेंकटचलपति मंदिर में लाया गया. अनुष्ठानों के बाद जुलूस में देवता को पारंपरिक हरे रेशम से सजाया गया, जो जनता के बीच कृषि में समृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है. प्रतिष्ठित स्वर्ण घोड़े वाहन पर सवार होकर जुलूस तड़के तल्लाकुलम मंदिर से वैगई नदी की ओर रवाना हुआ.

इससे पहले, भगवान वीरा राघव पेरुमल, अपने चांदी के घोड़े वाहन पर सवार होकर वैगई नदी के उत्तरी तट पर पहुंचे, भगवान कल्लाझागर सुबह 5:45 बजे वैगई उत्तरी तट पर पहुंचे. आगमन पर, भगवान वीरा राघव पेरुमल ने वैगई नदी में प्रवेश के लिए तैयार किए गए विशेष मंच पर कल्लाझागर का स्वागत किया. फिर जुलूस ने मंच के चारों ओर चक्कर लगाया, जिससे हजारों भक्तों को 'गोविंदा गोविंदा' का जाप करते हुए और कल्लाझागर को दीपम के साथ प्रार्थना करते हुए देवता के दर्शन करने की अनुमति मिली

पिछले साल की तुलना में इस बार लोगों को वैगई नदी में प्रवेश की इजाजत दी गई,व नदी में पानी के बहाव को ध्यान में रखते हुए पुलिस और अग्निशमन विभाग के तैराकों को लाइफ जैकेट और लाइफ बॉय के साथ कार्यक्रम स्थल पर तैनात किया गया था.

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Last Updated : Apr 23, 2024, 8:00 PM IST

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