चेन्नई: महिला कांस्टेबलों को बदनाम करने और सरकार के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में यूट्यूबर सवुक्कु शंकर के खिलाफ तमिलनाडु में 17 मामले दर्ज किए गए हैं. इससे पहले चेन्नई पुलिस कमिश्नर ने उन्हें 12 मई को गुंडा एक्ट के तहत गिरफ्तार करने का आदेश दिया था.
इसके बाद सवुक्कु शंकर की मां कमला ने मद्रास हाईकोर्ट में गुंडा एक्ट को निरस्त करने की मांग करते हुए मामला दायर किया. जब मामला जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम और शिवज्ञानम की बेंच के सामने सुनवाई के लिए आया तो सवुक्कु शंकर की ओर से कहा गया कि पुलिस ने गुंडा एक्ट को आपातकालीन आधार पर लगाया गया.
वहीं, राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि सवुक्कु शंकर के खिलाफ सरकार पर अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए मामले दर्ज किए गए हैं. सरकारी पक्ष ने कहा, "सवुक्कु शंकर ने सभी महिला पुलिसकर्मियों पर गलत टिप्पणी की है. वह 2023 से सरकार के खिलाफ अपमानजनक बातें बोल रहे थे.
मामले की सुनवाई के दौरान जजों ने पूछा, "क्या यूट्यूब पर टिप्पणी करने वाले सभी लोग गिरफ़्तार हैं? तमिलनाडु में अब तक कितने लोगों को गिरफ्तार किया गया है. किस आधार पर सरकार ने निष्कर्ष निकाला कि लोग वीडियो से प्रभावित हुए हैं? यूट्यूब पर पोस्ट की गई राय पर विश्वास करना लोगों की निजी पसंद है. अगर यह सही है, तो लोग इसे स्वीकार करेंगे." अच्छे इरादे वाले लोग अच्छे वीडियो देखेंगे और बुरे इरादे वाले लोग बुरे वीडियो देखेंगे. इसलिए, किसी को भी कोई वीडियो देखने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है."
'टेलीविजन पर प्रसारित सभी खबरें सच होती हैं?'
कोर्ट ने पूछा, "क्या टेलीविजन पर प्रसारित सभी खबरें सच होती हैं? टेलीविजन कार्यक्रम पार्टियों के पक्ष में प्रसारित होते हैं. हम इसे क्यों नहीं सुन सकते? " कोर्ट ने कहा कि चेन्नई पुलिस कमिश्नर की यह टिप्पणी कि उन्हें दंगाइयों की भाषा में सबक सिखाया जाएगा, गलत तरीके से ली जा सकती है. सरकार के पक्ष में फैसला देने वाले जजों की प्रशंसा करना और उसके खिलाफ फैसला देने वाले जजों की निंदा करना आम बात है. इसके लिए कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती.हम सभी को केवल यही सलाह दे सकते हैं कि सोशल प्लेटफॉर्म पर गलत न बोलें. किसी की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता."
'क्या सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार नहीं?'
मद्रास हाईकोर्ट ने आगे कहा कि क्या सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार नहीं है? अगर लोग सरकार के खिलाफ पोस्ट किए गए वीडियो देख रहे हैं, तो इसका मतलब है कि भ्रष्टाचार बढ़ गया है. क्या सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार नहीं है? सुप्रीम कोर्ट के जजों ने खुद कहा है कि अदालतों में भ्रष्टाचार है. क्या इसे नकारा जा सकता है? सवुक्कु शंकर को जानकारी कौन दे रहा है? इसकी जांच क्यों नहीं हो रही है?"
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