नई दिल्ली : विपक्ष के नेता बनने के बाद राहुल गांधी की सितंबर में अमेरिका की पहली विदेश यात्रा होगी. इस दौरान राहुल गांधी भारतीय प्रवासियों, छात्रों, व्यापार प्रमुखों और सांसदों से बातचीत करेंगे और घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त करेंगे.यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों से कुछ महीने पहले हो रही है. इसमें डेमोक्रेटिक उम्मीदवार और मौजूदा उपराष्ट्रपति कमला हैरिस का मुकाबला रिपब्लिकन उम्मीदवार और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से है.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, यह यात्रा सितंबर के पहले सप्ताह में तय की जा रही है, क्योंकि राहुल गांधी अक्टूबर से तीन राज्यों महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में चुनावों में व्यस्त हो जाएंगे. इस बारे में कांग्रेस के भारतीय प्रवासी कांग्रेस विभाग की प्रभारी औ एआईसीसी सचिव आरती कृष्णन ने कहा कि हां, हम सितंबर में राहुल गांधी की अमेरिका यात्रा की योजना बना रहे हैं. विपक्ष के नेता के रूप में यह उनकी पहली यात्रा होगी. विवरण पर काम किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने पिछले साल भी अमेरिका का दौरा किया था और बाद में वे यूरोप गए थे. आरती कृष्णन ने कहा कि दोनों यात्राएं बेहद सफल रहीं थीं और उन्हें एक ऐसे नेता के रूप में पेश किया जो अच्छी तरह से पढ़ा-लिखा और स्पष्टवादी है.
सितंबर की यात्रा के दौरान, राहुल गांधी वाशिंगटन, लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया, शिकागो और डलास सहित चार या पांच शहरों का दौरा कर सकते हैं. अमेरिका में बातचीत आईओसी के निमंत्रण पर आधारित है और इसे पूर्व कांग्रेस प्रमुख के साथ 'मिलने और अभिवादन' सत्र के रूप में करार दिए जाने की संभावना है, जिन्होंने अपने दो दशक लंबे राजनीतिक जीवन में पहली बार संवैधानिक पद संभाला है.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि कनाडा और यूरोप से भी इसी तरह के निमंत्रण मिले हैं. उन्होंने कहा कि 2014 में सत्ता खोने के एक दशक बाद, राहुल गांधी ने 18वीं लोकसभा में 543 में से 99 सीटें जीतकर कांग्रेस को सम्मानजनक स्थिति में पहुंचाया और विपक्ष के नेता की भूमिका निभाई. आगामी दौरे की व्यवस्था आईओसी प्रमुख सैम पित्रोदा द्वारा की जा रही है, जिन्हें लोकसभा चुनाव के दौरान कथित तौर पर विवादास्पद टिप्पणी करने के कारण पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था. हालांकि हाल ही में उन्हें फिर से बहाल कर दिया गया क्योंकि उन्होंने हाईकमान को स्पष्ट कर दिया था कि भाजपा द्वारा उन्हें अनुचित तरीके से निशाना बनाया गया था.
एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि उनकी यात्रा का उद्देश्य विभिन्न व्यक्तियों, संस्थानों और मीडिया के साथ जुड़ना, बातचीत करना और एक नई बातचीत शुरू करना है, जिसमें अमेरिका और विदेशों में बढ़ती संख्या में भारतीय प्रवासी शामिल हैं, ताकि वास्तविक लोकतंत्र के साझा मूल्यों और दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया जा सके. साथ ही जिसका ध्यान दुनिया भर में स्वतंत्रता, समावेश, स्थिरता, न्याय, शांति और अवसरों पर हो.
इससे पहले राहुल गांधी ने मई 2023 में भी अमेरिका की यात्रा की थी, लेकिन एक आम नागरिक के रूप में, क्योंकि मार्च में सूरत की एक अदालत ने पीएम मोदी के उपनाम से जुड़े एक कथित आपराधिक मानहानि मामले में दो साल की जेल की सजा सुनाए जाने के बाद नेता ने अपनी लोकसभा सदस्यता खो दी थी. यह मामला एक भाजपा नेता द्वारा दायर किया गया था और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था. तब भी राहुल गांधी ने विभिन्न सामाजिक समूहों के साथ व्यापक चर्चा की थी. अगस्त 2023 में, पूर्व कांग्रेस प्रमुख ने यूरोप की यात्रा की थी, जहां उन्होंने ब्रुसेल्स में यूरोपीय संघ के सांसदों से मुलाकात की थी और पेरिस के एक विश्वविद्यालय में व्याख्यान दिया था.
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