प्रयागराज :ऐसा पहली बार होगा जबसंगमनगरी की दो लोकसभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ का कोई दखल नहीं होगा. पिछले करीब 30 साल से अतीक सियासत में अपने दखल से कई सीटों पर रुख बदलता या प्रभावित करता आया था. खासकर जिले की मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर. शहर पश्चिमी उसका गढ़ रहा, हालांकि भाजपा ने उसे भी भेद दिया. फिर भी लोकसभा हो या विधानसभा चुनाव, अतीक के फरमान का असर जरूर देखने को मिला. जिस शहर में उसकी तूती बोलती थी, वहीं 15 अप्रैल 2023 को तीन शूटरों ने उसे ढेर कर दिया.
5 बार विधायक और एक बार सांसद रहा
माफिया अतीक अहमद प्रयागराज की शहर पश्चिमी विधान सभा से पांच बार विधायक और फूलपुर लोकसभा से 2004 में सांसद चुना गया था. अपराध जगत के साथ ही राजनीति में भी अतीक अहमद की अंदर तक पकड़ थी. यही वजह थी कि वह माफ़ियागीरी के साथ ही राजनीतिक रूप से भी चुनाव में दखल देकर उसे प्रभावित करता था. हर चुनाव में अतीक के रुख का उससे प्रभावित लोगों को इंतजार रहता था. वोटों पर पड़ने वाले असर को देखते हुए ही सपा सहित अन्य पार्टियों ने उसे हमेशा तवज्जो भी दी. अतीक 1989 में शहर पश्चिमी से निर्दलीय के रूप में पहली बार विधायक बना. 1996 तक वह निर्दलीय ही लड़ा और जीता. इसके बाद सपा का दामन थामा और 1996 में चौथी बार विधायक बना. पांचवी बार अपना दल से 2002 में शहर पश्चिमी से ही चुनाव जीता. इसके बाद सपा के टिकट पर 2004 में फूलपुर लोकसभा सीट से जीत हासिल की.
अशरफ भी शहर पश्चिमी सीट से जीता
अतीक दूसरी सीटों पर भी खासा दखल रखता था. पड़ोसी जिले प्रतापगढ़ की सीट पर भी अतीक का प्रभाव था. इस लोकसभा चुनाव में अतीक और उसके भाई अशरफ का कोई दखल नहीं रहेगा. जबकि इससे पहले वह सभी चुनाव में घूम-घूमकर किसी न किसी प्रत्याशी के नाम का प्रचार करता था. इसी के साथ अतीक मुस्लिम मतदाताओं के बीच संदेश भी भेजता रहा. तब अतीक की तरफ से जारी फरमान का असर देखने को मिलता था.कई बार अतीक अहमद के समर्थन से उम्मीदवार चुनाव जीतने में कामयाब हुए हैं. उसका छोटा भाई ख़ालिद अज़ीम उर्फ अशरफ 2005 में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के बाद हुए उपचुनाव में शहर पश्चिमी विधानसभा सीट से ही विधायक चुना गया था. जो कि 2007 के चुनाव में राजू पाल की पत्नी पूजा पाल से चुनाव हार गया था.
राजा के गढ़ में भी अतीक का प्रभाव
प्रयागराज की विधानसभा सीटों की बात करें तो सबसे ज्यादा फूलपुर और फाफामऊ में अतीक का प्रभाव है. यहां मुस्लिम आबादी 54 प्रतिशत के करीब है. यही कारण है कि अतीक जब सपा से बाहर होकर चुनाव लड़ा, पार्टी को नुकसान हुआ. इसके अलावा सोरांव, शहर उत्तरी पर भी अतीक का अच्छा खासा प्रभाव रहा है. अतीक का असर राजा भैया के गढ़ प्रतापगढ़ में भी रहा है.