हैदराबाद: पंजाब में अकेले चुनाव लड़ने वाली भाजपा रुझानों के अनुसार राज्य की सभी 13 लोकसभा सीटों पर पिछड़ गई. 2019 में भाजपा ने पंजाब में दो सीटें जीती थीं, गुरदासपुर (सनी देओल) और होशियारपुर (सोम प्रकाश). खास बात यह है कि इस बार दोनों उम्मीदवारों को टिकट नहीं दिया गया है. कांग्रेस से शामिल हुए रवनीत बिट्टू हों या फिर परनीत कौर, कोई भी जीत नहीं दिला पाए. आखिर भाजपा के विरोध का क्या कारण है? क्या किसान आंदोलन है पंजाब में भाजपा की हार की वजह?
जिस तरह किसान सरकार द्वारा अपने वादे पूरे न करने के आरोप में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, इस महत्वपूर्ण उत्तरी राज्य में विरोध प्रदर्शन ही हार की वजह का मुख्य कारण है. पंजाब में लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान किसान यूनियनों ने भाजपा और उसके उम्मीदवारों के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया. कुछ घटनाओं में भाजपा उम्मीदवारों को इन किसान यूनियनों द्वारा परेशान किए जाने और विरोध का सामना करने की खबरें तक सामने आईं.
किसान यूनियनें तब से भाजपा का विरोध कर रही हैं, जब से उन्होंने अब रद्द किए गए तीन कृषि कानूनों को लेकर बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू किया था. किसानों ने इस साल मार्च में हरियाणा और दिल्ली की सीमाओं पर फिर से आंदोलन शुरू किया, जिसमें भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से संबंधित उनकी मांगों को पूरा करने की मांग की गई.
हंसराज हंस का कड़ा विरोध
किसान यूनियनों की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया का सामना करते हुए, पंजाब भाजपा के कई उम्मीदवारों ने भूमिहीन किसानों और खेत मजदूरों से संपर्क करना शुरू किया. भाजपा ने फरीदकोट लोकसभा क्षेत्र से प्रसिद्ध पंजाबी गायक हंस राज हंस को मैदान में उतारा. वह वाल्मीकि समुदाय से हैं. हंस को ग्रामीण इलाकों में दलितों की छोटी सभाओं को संबोधित करते हुए देखा गया, जहां उन पर, उनके बेटे और पार्टी कार्यकर्ताओं पर कथित तौर पर प्रदर्शनकारियों ने हमला किया था.