सरगुजा: चिंतामणि महाराज राजनीति में आने से पहले संत थे और राजनीति में आने के बाद भी संत हैं. एक नेता के तौर पर कम एक संत के रुप में वो ज्यादा जाने जाते रहे हैं. चिंतामणि महाराज ने सरगुजा लोकसभा सीट पर शशि सिंह को हराकर विजय हासिल किया. चिंतामणि महाराज चुनाव से ठीक पहले बीजेपी में शामिल हुए थे.
संत से सांसद बनने तक की कहानी: सरगुजा से सांसद बने चिंतामणि महाराज संत गहिरा गुरु के बेटे हैं और उनका सरगुजा में अच्छा खासा असर है. बड़ी संख्या में उनके उनुयायी भी हैं. संत गहिरा गुरु को मानने वाले भक्तों की संख्या लाखों में है. संत गहिरा गुरु को मानने वाले लोग बड़ी संख्या में रायगढ़, अंबिकापुर, बिलासपुर, सामरी, कुनकुरी और जशपुर में रहते हैं. संत गहिरा गुरु की परंपरा को चिंतामणि महाराज लगातार आगे बढ़ाते रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी टिकट देते समय उनकी संत की छवि राजनीति में रुचि दोनों का खास ख्याल रखा.
सरगुजा में खिला कमल: बीजेपी में एंट्री करने से पहले चिंतामणि महाराज कांग्रेस में रहे. विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने उनको टिकट नहीं दिया. टिकट नहीं मिलने के चलते वो नाराज थे. लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने उनको पार्टी में शामिल किया और उनको सरगुजा से टिकट भी दिया. सरगुजा लोकसभा सीट पर उनका मुकाबला कांग्रेस की तेज तर्रार नेता शशि सिंह से हुआ. शशि सिंह गोंड समाज से आती हैं. कांग्रेस को उम्मीद थी की गोंड समाज के वोट उनको मिलेंगे. चिंतामणि महाराज ने गोंड समाज के वोटों में भी सेंध लगाई और बीजेपी का कमल सरगुजा में खिलाया.
कैसे पलटी बाजी: सरगुजा लोकसभा की 8 विधानसभा सीटों में 3 में कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया. बाकी की 5 विधानसभा सीटों पर भाजपा को बड़ी बढ़त मिली. कांग्रेस को सीतापुर, सामरी और प्रतापपुर विधानसभा से बढ़त मिली. भाजपा को प्रेमनगर, भटगांव, रामानुजगंज, अम्बिकापुर और लुंड्रा से बढ़त मिली. मतगणना की शुरुआत से महाराज ने जो बढ़त बनाई वो अंत तक जारी रही.