चंडीगढ़: लोकसभा चुनाव के छठे चरण के तहत हरियाणा की सभी दस सीटों पर 25 मई को मतदान हुआ. चुनाव के नतीजे 4 जून को आएंगे. इससे पहले सभी राजनीतिक दल आकलन और सर्वे कर जीत का समीकरण बना रहे हैं. इसमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों का गुना-भाग और जाट-नॉन जाट का फैक्टर शामिल है. हरियाणा की सभी दस सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवारों के बीच मुख्य मुकाबला माना जा रहा है. बीजेपी के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का फैक्टर है, तो कांग्रेस के खिलाफ गुटबाजी बड़ी चुनौती है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि हरियाणा में मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है.
अंबाला लोकसभा सीट: इस बार अंबाला लोकसभा सीट पर 67.34 प्रतिशत मतदान हुआ है. यहां मुख्य मुकाबला बीजेपी उम्मीदवार बंतो कटारिया और कांग्रेस उम्मीदवार वरुण चौधरी के बीच माना जा रहा है. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक अगर बीजेपी के खिलाफ ग्रामीण क्षेत्र की जनता की नाराजगी को आधार मानें, तो इस सीट पर बंतो कटारिया की राह आसान दिखाई नहीं दे रही. विधानसभा क्षेत्रों के ग्रामीण इलाकों में करीब 70 फीसदी मतदान हुआ है, जबकि शहरी क्षेत्र में 62 से 65 फीसदी मतदान हुआ है, जोकि इस सीट पर बीजेपी के लिए चिंता का सबब है. इसी वजह से यहां कांग्रेस बीजेपी से आगे दिखाई देती है. यानी यहां मुकाबला दिलचस्प होने वाला है.
कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट: इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है. यहां इंडिया गठबंधन की तरफ से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार डॉक्टर सुशील गुप्ता, बीजेपी उम्मीदवार नवीन जिंदल और इनेलो उम्मीदवार अभय चौटाला चुनावी मैदान में हैं. यहां पर भी शहरी इलाके से अधिक मतदान प्रतिशत ग्रामीण इलाकों का है, जिसमें सत्ता पक्ष के विधायकों के विधानसभा क्षेत्र से अधिक विपक्षी विधायकों के क्षेत्र में वोट पड़े हैं. हालांकि सत्ता पक्ष के विधायकों के क्षेत्र का भी मत प्रतिशत ठीक है. इस सीट पर फिलहाल सुशील गुप्ता मजबूत दिखाई दे रहे हैं, लेकिन बीजेपी के नवीन जिंदल यहां से पहले भी सांसद रहे हैं और अपने पिछले कार्यकाल के दौरान उनकी लोगों में छवि अच्छी है, जिसका उन्हें लाभ मिल सकता है. वहीं इनेलो नेता अभय चौटाला जितने वोट लेंगे, उसका भी नवीन जिंदल को लाभ मिल सकता है. उनका कड़ा मुकाबला आप उम्मीदवार से होना तय है.
करनाल लोकसभा सीट: इस सीट पर नतीजा बीजेपी के पक्ष में रह सकता है. बीजेपी की तरफ से पूर्व सीएम मनोहर लाल के सामने कांग्रेस के दिव्यांशु बुद्धिराजा हैं. हालांकि कांग्रेस को यहां पर भी कड़े मुकाबले की उम्मीद है, लेकिन बीजेपी को भी इस सीट पर जीत की उम्मीद है. इस लोकसभा क्षेत्र के तहत सत्ता पक्ष और विपक्ष का मत प्रतिशत करीब करीब एक सा ही है, लेकिन खुद पूर्व सीएम मनोहर लाल की विधानसभा क्षेत्र का वोट प्रतिशत सबसे कम है. ऐसे में बीजेपी अगर इस सीट से जीत हासिल करती है, तो उसका मार्जिन कम रहने की उम्मीद है.
सोनीपत लोकसभा सीट: सोनीपत सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर हो सकती है. कांग्रेस इस सीट पर एज में है. परिस्थितियां बता रही हैं कि यहां पर भी किसी भी उम्मीदवार की जीत का मार्जिन ज्यादा नहीं रहेगा. इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार मोहन लाल बड़ौली और कांग्रेस उम्मीदवार सतपाल ब्रह्मचारी हैं. इस लोकसभा क्षेत्र पर करीब 64 फीसदी मतदान हुआ है. लगभग सभी विधानसभा क्षेत्र में एक समान वोटिंग प्रतिशत देखने को मिला है. वहीं बीजेपी प्रत्याशी भीतरघात की बात मीडिया में कह चुके हैं. यानी कहीं ना कहीं उन्हें भी ये मुकाबला फंसता हुआ दिखाई दे रहा है.
गुरुग्राम लोकसभा सीट: इस सीट पर भी मुकाबला कड़ा होने की उम्मीद है. बीजेपी की तरफ से जहां राव इंद्रजीत सिंह चुनावी मैदान में हैं, तो कांग्रेस ने राज बब्बर को उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी उम्मीदवार यहां एज में हैं. अगर वो इस सीट पर चुनाव जीतते हैं, तो वे छठी बार सांसद बनने का रिकॉर्ड दर्ज करेंगे. इस सीट पर यहां के सामाजिक और जातीय समीकरण लड़ाई को दिलचस्प बना रहे हैं. इसलिए आसानी से किसी की जीत का आकलन करना आसान नहीं है. इस सीट पर 62 फीसदी से अधिक मतदान हुआ है, लेकिन गुरुग्राम और बादशाहपुर विधानसभा सीट पर करीब 57 फीसदी मतदान हुआ है, जबकि बाकी सीटों पर करीब एवरेज 65 फीसदी मतदान हुआ है.
फरीदाबाद लोकसभा सीट: इस सीट पर भी कहानी लगभग वही है. बीजेपी की तरफ से कृष्ण पाल गुर्जर तीसरी बार सांसद बनने के लिए मैदान में हैं तो कांग्रेस की तरफ से महेंद्र प्रताप सिंह उनके सामने चुनावी मैदान में हैं. जानकार इस सीट पर कांग्रेस को एज दे रहे हैं. वजह मौजूदा सांसद से लोगों की नाराजगी. इस सीट पर करीब 60 फीसदी से अधिक मतदान हुआ है.