13 हार के बाद भी नहीं टूटा हौसला बाड़मेर.राजस्थान में लोकसभा चुनाव को लेकर हर तरफ चुनावी फिजा रंगत में नजर आ रही है. प्रमुख सियासी दलों के साथ-साथ निर्दलीय प्रत्याशी भी लगातार अपनी-अपनी जीत के लिए वोटरों से मनुहार कर रहे हैं. राजस्थान के बालोतरा जिले के रहने वाले पोपटलाल 14वीं बार चुनावी मैदान में है. पोपटलाल में चुनाव लड़ने को लेकर ऐसा जुनून है कि घर के गाय- भैंस से लेकर जमीन-जायदाद तक को बेच दिया है सिर्फ इसलिए कि वह चुनाव लड़ सके. हालांकि पोपटलाल को हर चुनाव में शिकस्त का सामना करना पड़ा है. लेकिन फिर भी पोपटलाल का राजनीति से मोह भंग नहीं हो रहा है. सबसे खास बात यह है कि पोपटलाल ने कभी भी किसी पार्टी से टिकट के लिए दावेदारी तक पेश नही की. आर्थिक रूप से बेहद कमजोर होने के बावजूद भी हर चुनाव में अपना भाग्य आजमाता है. घर- घर गांव- गांव पैदल जाकर चुनाव प्रचार कर लोगों से अपील कर रहे है कि एक बार मुझे जीत का आशीर्वाद दो विकास में कोई कमी नही आने दूंगा.
हर चुनाव में भाग्य को आजमाया : बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा सीट हॉट सीट बनी हुई है, जिसके चलते प्रत्याशी पूरा दमखम लग रहे हैं. केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी से लेकर रविंद्र सिंह भाटी ओर उम्मेदाराम बेनीवाल जैसे दिग्गज नेता जहां चुनाव मैदान हैं. वहीं बालोतरा जिले के समदड़ी क्षेत्र के रहने वाले पोपटलाल एक बार फिर से चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. पोपटलाल सरपंच से लेकर विधानसभा और लोकसभा तक के 13 चुनाव लड़ चुका है. हालांकि इन्हें हर बार शिकस्त का सामना करना पड़ा है, लेकिन इनका हौंसला आज भी चट्टान की तरह मजबूत है. यही वजह है कि इतने चुनाव हारने के बावजूद भी यह चुनावी रण को नही छोड़ रहे है और अब 14 वीं बार चुनाव लड़ने के लिए मैदान में ताल ठोक रहा है . बता दें कि 57 वर्षीय पोपटलाल की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर होने के बावजूद भी हर बार चुनाव मैदान में अपना भाग्य आजमाते हुए नजर आते हैं.
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हर चुनाव हारे, फिर भी 14वीं बार मैदान में: लोकसभा के निर्दलीय प्रत्याशी पोपटलाल बताते हैं कि उन्होंने पांच बार सरपंच, एक बार जिला परिषद का चुनाव अपनी पत्नी को लड़वाया था. चार बार विधानसभा और तीन बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन कामयाबी अबतक नही मिली. पोपटलाल के अनुसार 2009 लोकसभा का चुनाव वो तीसरे नम्बर पर रहे थे. इस चुनाव में मिले वोटों से पोपटलाल के हौसले को बल मिला. इस बीच एक बार जिला परिषद का चुनाव अपनी पत्नी को भी चुनाव मैदान में उतारा था, हालांकि वो भी चुनाव हार गई थी. इस चुनाव में पोपटलाल 14वीं बार चुनाव में भाग्य आजमा रहे हैं. पोपटलाल का कहना है कि उनका बस एक ही सपना है की 36 कौम का विकास करवाना है. उन्होंने बताया कि कभी भी किसी पार्टी से टिकट की मांग नही की क्योंकि टिकट तो किसान और जनता के पास है. हर बार निर्दलीय चुनाव लड़ा है. पोपटलाल का मानना है कि एक बार जरूर 36 कौम के लोग साथ देंगे और वह विजयी पताका फहराएगा.
चुनाव लड़ने के लिए जायदाद तक बेच डाली : पोपटलाल ने बताया कि वह अकेले ही चुनाव प्रचार प्रसार करते हैं. किसी को साथ नही रखा है क्योंकि लोगो का भोरोसा नही जनता को क्या बोल दे. इसलिए जनता से सीधा संवाद कर अपनी बात रखता हूं. पोपटलाल बताते हैं कि 5 साल तक थोड़ा-थोड़ा पैसा करके इकट्ठा करते हैं फिर चुनाव में किस्मत अजमाते हैं. चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने घर के जानवरों से लेकर जमीन तक बेच दी. उनका बेटा ओर पत्नी दोनों मजदूरी करते हैं. पोपटलाल बताते हैं कि शुरुआत में घर वाले चुनाव लड़ने से रोकते टोकते थे लेकिन अब घर वालों को भी पता है कि कैसे भी करके पोपट चुनाव लड़ेगा. ऐसे में अब वो कहने की बजय उल्टा साथ देते हैं.
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यह है प्रचार करने का तरीका : पोपटलाल आर्थिंक रूप से बेहद कमजोर होने के साथ साधन संपन्न नही हैं. ऐसे में चुनाव के समय मे रोज सुबह जल्दी उठते हैं ओर घर से खाना खाकर प्रचार के लिए निकल जाते हैं. इस दौरान साथ मे प्रचार सामग्री को एक कपड़े की थैली में डालकर गांव- गांव ओर घर-घर जाकर अपने पक्ष में जनता से जीत का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. पोपटलाल के अनुसार जहां भी जाते हैं तो लोगों का सहयोग मिल रहा है. ऐसे में विश्वास है कि जनता एक बार जरूर साथ देगी.