हैदराबाद: रामोजी ग्रुप के चेयरमैन रामोजी राव अब हमारे बीच नहीं रहे. हम उन्हें अक्सर चेयरमैन गारू (तेलुगु में गारू का अर्थ 'जी' होता है) कहते थे. वह दूरदर्शी और अलग व्यक्तित्व के थे. रामोजी राव ने भारत के पत्रकारों के लिए अपनी मातृभाषा में समाचार कवर करना आसान बनाया ताकि वे स्थानीय भाषाओं में लोगों तक खबरें पहुंचा सकें. ईनाडु और ईटीवी भारत के लेखों को पढ़ने पर देश और लोगों के प्रति उनका प्यार साफ झलकता है.
आखिरी सांस तक उन्होंने ईटीवी भारत की नियमित रूप से देखरेख की और लोगों की दिलचस्पी के किसी भी विषय पर ईटीवी भारत को ओर से देश भर में किए जाने वाले कवरेज के बारे में जानकारी हासिल की. इसी तरह, उन्होंने समूह की अन्य मीडिया कंपनियों जैसे ईनाडु और ईटीवी नेटवर्क से जुड़े वरिष्ठ पत्रकारों का मार्गदर्शन किया और खबरों की कवरेज को पाठकों और दर्शकों के अनुकूल बनाने के लिए जरूरी सलाह भी देते थे.
छह साल से अधिक समय तक उनके साथ काम करने और संपादकीय मुद्दों पर चर्चा करने के बाद मैंने देखा कि उनमें रचनात्मकता कूट-कूट कर भरी हुई थी. उनके सोचने का रचनात्मक तरीका उनके लिए उतना ही सहज था, जितना कि सांस लेना. उनकी जिज्ञासा और ज्ञान हासिल करने की ललक में समस्या-समाधान केंद्र में थे, जो उन्हें सफलता की गारंटी देते थे. उन्हें प्रयोग करने में मजा आता था, सावधानीपूर्वक योजना बनाने की उनकी क्षमता ने उन्हें एक ऐसा पेशेवर बना दिया जो 360 डिग्री में हर चीज की परख कर सकता था और हर पहलू का आकलन कर सकता था. इसी दृष्टिकोण ने उन्हें न सिर्फ मजबूत बल्कि एक सफल उद्यमी बनाया.
जब डिजिटल मीडिया की शुरुआत हुई, तो उनके पास एक रणनीति तैयार थी और उन्होंने ईटीवी भारत के लिए उपलब्ध आधुनिक बुनियादी ढांचे और प्रौद्योगिकी का उपयोग करके इस रणनीति पर अमल किया. वह भारत में पहले पेशेवर थे, जिन्होंने व्यापक एंड-टू-एंड डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ईटीवी भारत' विकसित किया, जिस पर अंग्रेजी सहित 13 भारतीय भाषाओं में खबरें पेश की जाती हैं. यह उनकी दूरदर्शिता ही थी कि आने वाला समय डिजिटल मीडिया का होगा. वीडियो एडिटिंग सॉफ्टवेयर सुसज्जित मोबाइल उपकरणों से लैस पत्रकारों और स्ट्रिंगर्स के इतने बड़े नेटवर्क वाली यह पहली मीडिया कंपनी है. ताकि वे फुटेज को आसानी से रिकॉर्ड और एडिट कर सकें और किसी भी समय किसी भी स्थान से लाइव समाचार प्रकाशित कर सकें.
वो महान योजनाकार थे और किसी भी उद्यम में निवेश करने से पहले उसके परिणाम का आकलन कर सकते थे. उनका मानना था कि 'वफादारी लोगों के साथ होती है' और जब किसी सिस्टम में किसी टीम को शामिल करना होता था तो वह अक्सर यही कहते थे. वह करके सीखने के विचार में दृढ़ता से विश्वास करते थे, और वरिष्ठ पद पर आने वाले किसी भी नए व्यक्ति को यह साबित करना होगा कि वह इस कला को समझता है. वह उसे यह नियमित करना है. वह पहल करने का समर्थन करते थे और पत्रकारिता के प्रति समर्पित लोगों की सराहना करते थे.