हैदराबाद:अपने जीवन काल में अनुभवी संवैधानिक वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस. नरीमन कई ऐतिहासिक मामलों में शामिल थे, जिन्होंने भारतीय कानून को आकार दिया है. जब तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की, तो सरकार के फैसले के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए नरीमन ने भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के पद से इस्तीफा दे दिया.
यूनियन कार्बाइड मामला, सफलता के बाद भी मलाल:नरीमन ने भोपाल गैस आपदा मामले में यूनियन कार्बाइड के लिए दलील दी थी. इस केस को लड़ने के लिए उन्हें काफी आलोचना का सामना करना पड़ा. ट्रिब्यून डेस ड्रोइट्स ह्यूमेन्स ने एक मानवाधिकार कार्यकर्ता के रूप में उनकी प्रतिष्ठा पर सवाल उठाते हुए उन्हें 'फॉलन एंजेल' के रूप में वर्णित किया. इस मामले में उन्होंने एक समझौता करने में मदद की जिससे अदालत के बाहर पीड़ितों को 470 मिलियन डॉलर मिले. लेकिन, जब उनसे पूछा गया कि क्या यह गलती थी तो उन्होंने कहा हां. एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में उन्होंने कहा था कि हां मुझे ऐसा लगता है. क्योंकि शुरू में मुझे लगा कि यह एक और मामला है जो मेरी उपलब्धियों में चार चांद लगा देगा. मेरा मतलब है कि उस उम्र में व्यक्ति हमेशा महत्वाकांक्षी होता है. लेकिन मुझे बाद में महसूस हुआ लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी, कोई भी उस मामले में कुछ नहीं कर सकता, जिसमें उसने पहले कुछ कर दिया हो. यह कोई सामान्य मसला नहीं था, यह एक त्रासदी थी. एक त्रासदी में, कौन सही है, कौन गलत है आदि, सभी भावनाओं से तय होते हैं.
जे जयललिता को जमानत: 2014 में उन्होंने अदालत में जे जयललिता का प्रतिनिधित्व किया. शुरुआत में जमानत न मिलने के बाद उन्होंने तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री का केस लड़ा और उनकी दलीलों से कोर्ट सहमत हो गया. यह मामला आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति रखने का था.
नर्मदा पुनर्वास मामले में गुजरात सरकार से मतभेद के बाद छोड़ा पद : नरीमन नर्मदा पुनर्वास मामले में गुजरात सरकार के वकील थे. हालांकि बाद में ईसाइयों के 'मारे जाने' की घटनाओं के बाद उन्होंने गुजरात सरकार का पद छोड़ दिया था. उन्होंने कानूनी खबरों की वेबसाइट बार एंड बेंच से इस बारे में बात की थी. उन्होंने कहा कि ईसाइयों को परेशान किया गया, बाइबिलें जला दी गईं और यहां तक कि ईसाई पुरुषों और महिलाओं को भी मार डाला गया. इसके विरोध में, मैं मंत्री के पास गया और मुझसे कहा गया कि बाइबिल और ईसाइयों की रक्षा की जायेगी. उन्हें मारा या जलाया नहीं जायेगा लेकिन फिर भी ऐसा हुआ. मैंने पद छोड़ दिया.
एनजेएसी 2014 के विरुद्ध तर्क : नरीमन ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) के खिलाफ भी दलील दी. उन्होंने एनजेएसी के खिलाफ मजबूत तर्क रखे और कहा कि यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता से समझौता करेगा और कार्यपालिका को प्रधानता देगा. उन्होंने तर्क दिया कि न्यायाधीशों की नियुक्ति का अधिकार न्यायपालिका की स्वतंत्रता का आधार है और संविधान की मूल संरचना का हिस्सा है.