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सरकार ने बदले इंपोर्ट के नियम, देशभर में सस्ते हो जाएंगे लैपटॉप और टैबलेट - LAPTOPS AND TABLETS

आयात पर नियंत्रण और लोकल प्रोडक्शन में समय लगने की वजह से बाजार में लैपटॉप और टैबलेट की उपलब्धता पर प्रभाव पड़ सकता.

laptops and tablets
सस्ते हो जाएंगे लैपटॉप और टैबलेट (IANS)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 2, 2025, 10:28 AM IST

नई दिल्ली:सरकार ने 2025 के लिए लैपटॉप और टैबलेट के आयात पर उदार रुख अपनाया है. केंद्र सरकार ने पूरे साल के लिए मंजूरी दी गई है, साथ ही बाजार में शॉर्टेज रोकने के लिए मध्य-वर्ष की समीक्षा का विकल्प भी दिया है.

इस संबंध में कई उद्योग अधिकारियों ने कहा कि इम्पोर्ट में प्रस्तावित 5 प्रतिशत की वार्षिक कमी, जिसे लोकल मैन्युफैक्चुरिंग द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा. इसको कैलेंडर 2025 की दूसरी छमाही तक औपचारिक रूप दिए जाने की उम्मीद है. इस समय तक सभी ब्रांडों के लिए स्थानीय लैपटॉप प्रोडक्शन शुरू हो जाएगा.

उन्होंने कहा कि ब्रांड-वार डिमांड और सप्लाई की मिड-ईयर समीक्षा होने तक इसकी गणना के लिए आधार वर्ष पर सरकार और उद्योग के बीच आम सहमति भी बन जानी चाहिए.

द इकोनोमिक्स टाइम्सके मुताबिक दो अधिकारियों ने कहा कि अगर डिमांड वर्तमान में अप्रूव इन्वेंट्री से अधिक हो जाती है तो अतिरिक्त आयात स्वीकृतियां जारी की जा सकती हैं और यदि मांग में तेजी नहीं आती है तो स्थानीय उत्पादन लक्ष्यों में कटौती की जा सकती है.

2024 में दी गई थी मुफ्त आयात की इजाजत
उन्होंने बताया कि लाइसेंसिंग सिस्टम के माध्यम से इम्पोर्ट कंट्रोल की योजनाओं को स्थगित करने के बाद 2024 में लैपटॉप और टैबलेट के मुफ्त आयात की अनुमति दी गई थी.फिर भी ब्रांडों को इम्पोर्ट ऑथिराइजेशन की तलाश करनी पड़ी क्योंकि केंद्र आयात की निगरानी करना और स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देना चाहता था.

एक अधिकारी ने कहा कि केंद्र फर्मों को स्थानीय उत्पादन में शिफ्ट करने के लिए पर्याप्त समय देने में नरमी बरतेगा.फर्म अब जो इम्पोर्ट अप्रूवल ले रही है. वे 1 जनवरी से 31 दिसंबर 2025 तक वैध हैं.

आम लोगों पर क्या होगा असर
आयात पर नियंत्रण और लोकल प्रोडक्शन में समय लगने की वजह से बाजार में लैपटॉप और टैबलेट की उपलब्धता पर प्रभाव पड़ सकता. इसके अलावा लोकल प्रोडक्शन बढ़ने से प्रोडक्ट्स की निरंतर सप्लाई जारी रहेगी. स्थानीय निर्माण के चलते देश में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे.

अगर डिमांड इन्वेंट्री से ज्यादा हो जाती है, तो सरकार अतिरिक्त आयात की परमिशन दे सकती है. लेकिन अगर मांग नहीं बढ़ती है, तो प्रोडक्शन टारगेट घटाया जा सकता है, जिससे प्रोडक्ट की सप्लाई और बैलेंस बना रहेगा.

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