अयोध्या : राम पथ के निर्माण के दौरान 13 किलोमीटर के दायरे में तमाम दुकानों और मकानों को तोड़ना पड़ा. इस दौरान मुआवजे को लेकर व्यापारियों और अयोध्या के लोगों में काफी असंतोष भी देखा गया. कई विश्लेषक इसे फैजाबाद संसदीय सीट पर भाजपा की हार से भी जोड़कर देख रहे हैं. हालांकि व्यापारी इन आरोपों से सहमत नहीं हैं. हां, उनकी अपनी समस्याएं और मुद्दे जरूर हैं. इसे लेकर हमने बात की अयोध्या के व्यापारियों से. देखिए वह क्या कहते हैं.
अयोध्या धाम व्यापार मंडल के अध्यक्ष पंकज गुप्ता कहते हैं कि भाजपा की हार का ठीकरा यहां के व्यापारियों पर गलत फोड़ा गया है. यहां के व्यापारियों ने वोट दिया, तभी यहां की विधानसभा सीट से लल्लू सिंह जी जीते हैं. हां, यह सही है कि हमारे साथ अन्याय हुआ है. हम लोगों की दुकानें चौड़ीकरण में तोड़ी गईं. मुआवजे के नाम पर ठगा गया. एक-दो लाख रुपये देकर हम लोगों को संतुष्ट कर दिया गया. फिर भी हम लोग दो दिन दुकानें बंद किए रहे. जन प्रतिनिधि और कोई अधिकारी नहीं आया.
उन्होंने कहा कि हम लोगों ने आपस में बैठक की कि 'राम जी के वास्ते, दे दो रास्ते.' हमने यह नीति अपनाई और अपने-अपने कागज दिए. 22 जनवरी को यहां उद्घाटन हुआ. व्यापार बढ़ा, लेकिन यहां के व्यापारियों और नागरिकों को उपेक्षित भी होना पड़ा. किसी भी कार्यक्रम में कोई भी निमंत्रण स्थानीय लोगों को नहीं दिया गया. हार का सबसे बड़ा कारण वोटों का ध्रुवीकरण होना है. भाजपा का बूथ मैनेजमेंट बहुत खराब था. बीएलओ और सरकारी तंत्र पर विश्वास करना सबसे बड़ा कारण है भाजपा की हार का.
एक अन्य स्थानीय नेता कहते हैं कि 13 किलोमीटर के राम पथ निर्माण में 800 दुकानदार पूरी तरह से विस्थापित हो गए हैं. विधानसभा चुनाव के पहले तत्कालीन उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने एक बैठक की थी और कहा था कि व्यापारियों को दुकान के बदले दुकान दी जाएगी, बिना कोई पैसा लिए. इसी भरोसे में आकर लोगों ने उनको वोट दिया और यहां से वेद प्रकाश गुप्ता विजयी हुए. हालांकि, चुनाव जीतने के बाद एक लाख रुपये देकर आपकी दुकानें छीन ली गईं. अब 20 से 25 लाख रुपये लेकर दुकानें अलग एलाॅट की जा रही हैं.