पटना:केंद्र सरकार के आम बजट में इस बार बिहार और आंध्र प्रदेश की बल्ले-बल्ले हो गई. गठबंधन का असर देश के आम बजट पर देखने को मिला. केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार केंद्र में एनडीए की सरकार बनी, मगर इस बार सत्ता पाने के लिए काफी दांव पेंच चलने पड़े. सत्ता में पीएम मोदी हैं, लेकिन इसकी चाबी एनडीए गठबंधन के दो सहयोगियों नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के हाथों में है.
नीतीश-नायडू को फुल इज्जत:बिहार में नीतीश कुमार ने बजट में कई तरह की मांग की थी. केंद्र सरकार ने 58900 करोड़ से अधिक की राशि विभिन्न योजनाओं में मदद कर साफ कर दिया है कि जदयू उनके लिए कितना जरूरी है. वहीं आंध्र प्रदेश को भी 15000 करोड़ का विशेष मदद दिया गया है. बिहार में 2025 में विधानसभा चुनाव भी है और नरेंद्र मोदी की सरकार ने बजट के माध्यम से साफ संकेत दिया है कि 2025 में नीतीश कुमार के साथ उनका गठबंधन बना रहेगा.
बिहार और एपी हैं जरूरी:लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने 400 पार का नारा दिया था, लेकिन बीजेपी 240 पर ही सिमट गई. ऐसे एनडीए को सरकार बनाने के लिए बहुमत तो मिल गया और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार केंद्र में NDA की सरकार बनी, लेकिन इस बार सत्ता की चाबी NDA के दो बड़े पार्टनर नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के हाथों में है.
पावर ड्रिस्ट्रीब्यूशन ने कर दिया मजबूर!: BJP को लोकसभा चुनाव में 240 सीटें मिली थीं. वहीं TDP को 16 और JDU को 12 सीटों पर जीत मिली हैं. बहुमत के लिए 272 सीटों की जरूरत होती है. इस आधार पर इन पार्टियों के पावर का डिस्ट्रीब्यूशन करें, तो 89% पावर BJP के पास और 5.5-5.5% JDU और TDP के पास है. सरकार बनाए रखने के लिए दोनों सहयोगी दलों का समर्थन बनाए रखना भी जरूरी है और इसीलिए नरेंद्र मोदी की सरकार ने आम बजट में बिहार और आंध्र प्रदेश का इस बार खास ख्याल रखा है.
क्या है एक्सपर्ट की राय:प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी का कहना है कि आज यदि देश की राजनीतिक स्थिति नहीं बदली रहती तो बिहार की एक बार फिर से अवहेलना होती, जो पहले से होती रही है. बिहार और आंध्र प्रदेश को जो आज मिला है, वह पूरा नहीं मिला है. बिहार का और आंध्र प्रदेश दोनों राज्य का बंटवारा हुआ था. दोनों को विशेष राज्य का दर्जा और विशेष सहायता मिलनी चाहिए थी,लेकिन दोनों को नहीं मिला.
"आज दोनों राज्यों के साथ कुछ न्याय हुआ है. इसका मुख्य कारण है कि इन्हीं दोनों पार्टियों पर आज केंद्र की सरकार निर्भर है. आज अगर दोनों पार्टिया समर्थन वापस ले ले तो केंद्र की सरकार गिर जाएगी. अस्तित्व में बने रहना किसी भी पार्टी की प्राथमिकता होती है. "-प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी, राजनीतिक विशेषज्ञ
बिहार को क्या मिला?: बिहार को जो महत्वपूर्ण क्षेत्र में आम बजट में विशेष मदद दी गई है, उसमें कई सड़क परियोजनाओं के लिए 26,000 करोड़ रुपए, पीरपैंती में 21,400 करोड़ रुपए की लागत से 2400 मेगावाट का पावर प्रोजेक्ट, बाढ़ नियंत्रण के लिए 11,500 करोड़ रुपए दिया गया है.