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हेमंत सोरेन के नये कैबिनेट में किसको किसको मिल सकती है जगह, कौन-कौन विधायक हैं रेस में - Hemant Soren cabinet

Hemant soren government. झारखंड में हेमंत सोरेन तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. अब चर्चा इस बात की होने लगी है कि उनके मंत्रिमंडल का स्वरूप कैसा होगा. किन विधायकों को उनके मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी.

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 4, 2024, 2:28 PM IST

Updated : Jul 4, 2024, 3:21 PM IST

HEMANT SOREN CABINET
डिजाइन इमेज (ईटीवी भारत)

रांचीः झारखंड में चंपाई सोरेन सरकार अब अतीत के पन्नों में समा चुकी है. हेमंत सोरेन तीसरी बार सीएम पद की शपथ लेने जा रहे हैं. पांच माह तक जेल में रहने के बाद 28 जून को झारखंड हाईकोर्ट से हेमंत सोरेन को नियमित जमानत मिली थी. उनके जेल से बाहर आने के बाद 30 जून को हूल दिवस के दिन ही यह तय हो गया था कि हेमंत सोरेन फिर से सत्ता संभालेंगे.

सहयोगी दल भी चाह रहे थे कि हेमंत सोरेन जल्द से जल्द सीएम बनें. क्योंकि इंडिया गठबंधन को हेमंत सोरेन के नाम पर ही चुनावी मैदान में जाना है. इसलिए बदलाव वाले फॉर्मूले पर 3 जुलाई को मुहर भी लग गई. उसी दिन राजभवन जाकर चंपाई सोरेन ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. हेमंत सोरेन ने उसी वक्त राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को 44 विधायकों की सूची सौंपकर नई सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया. हेमंत सोरेन को सरकार बनाने के लिए 4 जुलाई को राजभवन से न्यौता भी मिल चुका है. फिलहाल, उनके शपथ लेने तक चंपाई सोरेन कार्यवाहक मुख्यमंत्री की भूमिका में रहेंगे.

चंपाई कैबिनेट में हुआ था फेरबदल

अब इस बात की चर्चा छिड़ गई है कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बनने जा रही नई सरकार में किन-किन विधायकों को मंत्री की कुर्सी मिल सकती है. चंपाई सरकार में झामुमो कोटे से बसंत सोरेन, मिथिलेश ठाकुर, बेबी देवी, हफीजुल हसन और दीपक बिरुआ मंत्री बने. उनकी कैबिनेट में जोबा मांझी को आउट कर दीपक बिरूआ और हेमंत सोरेन की जगह उनके अनुज बसंत सोरेन मंत्री बनाए गये. कांग्रेस कोटे से डॉ रामेश्वर उरांव, आलमगीर आलम, बन्ना गुप्ता और बादल पत्रलेख जबकि राजद के इकलौते विधायक सत्यानंद भोक्ता भी मंत्री बने. कांग्रेस कोटे के आलमगीर आलम की कैश कांड में गिरफ्तारी और इस्तीफे के बाद वर्तमान कैबिनेट में कुल 09 मंत्री हैं.

हेमंत की कैबिनेट में झामुमो कोटे का स्वरुप

अब सवाल है कि सीएम पद की शपथ लेने के बाद हेमंत सोरेन की कैबिनेट में पुराने चेहरे ही नजर आएंगे या नये विधायक को भी जगह मिलेगी. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक झामुमो कोटे से नये चेहरे को शामिल करने की कोई संभावना नहीं दिख रही है. इसका मतलब है कि हेमंत सोरेन के नये कैबिनेट में बसंत सोरेन, मिथिलेश ठाकुर, बेबी देवी, हफीजुल हसन और दीपक बिरुआ फिर मंत्री बन सकते हैं.

हेमंत कैबिनेट में कांग्रेस कोटे का स्वरुप

रही बात कांग्रेस कोटे की तो आलमगीर आलम की जगह एक विधायक को मंत्री बनाया जाना है. हेमंत सोरेन को जमानत मिलने से पहले चंपाई कैबिनेट के विस्तार की तैयारी हो चुकी थी. सूत्रों के मुताबिक आलमगीर आलम की जगह अल्पसंख्यक वोट को साधने के लिए जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी पर सहमति भी बन गई थी. लेकिन हेमंत के जेल से बाहर आते ही परिस्थितियां बदल गई हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक हेमंत सोरेन की कैबिनेट में कांग्रेस कोटे से प्रदीप यादव को मंत्री बनाया जा सकता है. इसकी वजह भी है.

इरफान की जगह प्रदीप यादव के नाम पर चर्चा

दरअसल, इरफान अंसारी पर तत्कालीन हेमंत सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगा था. उनके साथ कांग्रेस विधायक नमन विक्सल कोंगाड़ी और खिजरी विधायक राजेश कच्छप को करीब 50 लाख रु. कैश के साथ पश्चिम बंगाल के हावड़ा में गिरफ्तार किया गया था. ऊपर से इरफान अंसारी की पहचान एक बड़बोले नेता के रूप में होती रही है. इस मामले में हेमंत सोरेन बेहद सेलेक्टिव माने जाते हैं.

विपक्ष को घेरने में प्रदीप यादव कारगर

जहां तक प्रदीप यादव की बात है तो वह सदन से सड़क तक सरकार की इमेज बिल्डिंग और विपक्ष को घेरने में महारथी कहे जाते हैं. हेमंत सोरेन अपने तीसरे कार्यकाल में चाहेंगे कि उनकी कैबिनेट में कोई ऐसा हो जो विपक्ष को गंभीरता के साथ घेर सके. क्योंकि चंपाई सोरेन के इस्तीफे के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी आक्रामक हो चुके हैं. वह सोरेन परिवार पर सीधा हमला बोल रहे हैं. ऐसे में जेवीएम पार्टी में बाबूलाल मरांडी के राजदार रहे प्रदीप यादव का काउंटर अटैक काम आ सकता है. साथ ही सीटों की संख्या को लेकर राजद के दबाव वाली राजनीति को देखते हुए कांग्रेस, प्रदीप यादव के नाम पर यादव वोट बैंक को साधना चाहेगी. लिहाजा, सभी तरह के आंकलन के बाद इस बात की संभावना है कि इरफान का सपना टूट सकता है.

एक्सपेरिमेंट के मूड में नहीं है कांग्रेस

सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस एक्सपेरिमेंट कर जोखिम नहीं उठाना चाहेगी. वैसे मंत्री बादल पत्रलेख के अपने जरमुंडी क्षेत्र में इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी को बढ़त नहीं दिलाने पर सवाल उठे थे. उनके परफॉर्मेंस पर भी चर्चाओं का बाजार गर्म था. उनकी जगह महगामा विधायक दीपिका पांडेय सिंह के नाम की चर्चा थी. इसी साल महाराष्ट्र, हरियाणा और जम्मू कश्मीर के साथ झारखंड विधानसभा के लिए भी एक साथ चुनाव कराए जा सकते हैं. इसलिए महज दो माह के लिए एक मंत्री को बिठाकर नये विधायक को मंत्री बनाना जोखिम भरा कदम हो सकता है. वैसे हेमंत सोरेन के तीसरी बार सीएम पद की शपथ लेने के बाद ही आधिकारिक रूप से स्पष्ट हो पाएगा कि उनकी कैबिनेट में किसको-किसको जगह मिलेगी.

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Last Updated : Jul 4, 2024, 3:21 PM IST

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