गिरिडीहः चंद दिनों में नए साल का आगमन हो जाएगा और 2024 बीती हुई बात बन जायेगी. हालांकि यह वर्ष गिरिडीह के लिए कई मायने में महत्वपूर्ण रहा. इस साल गिरिडीह जिले ने ही झारखंड को राजनीति में दो सितारे दिए. वहीं इस जिले के दो जनप्रतिनिधि कैबिनेट मिनिस्टर बने. एक को केंद्र में तो दूसरे को सूबे में महत्वपूर्ण विभाग मिला.
गिरिडीह से कल्पना ने की राजनीति की शुरुआत
कल्पना मुर्मू सोरेन, इंडिया गठबंधन की स्टार प्रचारक और सूबे की सबसे मजबूत नेत्री. हेमंत सोरेन जेल चले गए तो धर्मपत्नी कल्पना को राजनीति में उतरना पड़ा. 4 मार्च 2024 को कल्पना ने गिरिडीह के झंडा मैदान से राजनीति के उतरने की घोषणा की. कल्पना ने विधिवत झारखंड मुक्ति मोर्चा की सदस्यता ग्रहण की. इस दौरान कल्पना के आंसू गिरे झारखंड झुकेगा नहीं का नारा बुलंद हुआ.
जानकारी देते संवाददाता अमरनाथ सिन्हा (ईटीवी भारत) इसका असर लोकसभा चुनाव में दिखा पर झारखंड में भाजपा की सीट घट गई. 2024 के गांडेय विधानसभा उपचुनाव में कल्पना सोरेन को झामुमो ने उम्मीदवार बनाया. इस चुनाव में कल्पना ने भाजपा के दिलीप वर्मा को हराया. इस चुनाव में कल्पना को 109827 मत मिला और वह 27149 मतों से जीत गई.
कल्पना सोरेन (ईटीवी भारत) पांच माह बाद विधानसभा चुनाव हुआ तो कल्पना सोरेन फिर से उम्मीदवार बनी. इस बार कल्पना का वोट बढ़ गया. विधानसभा चुनाव 2024 में कल्पना को 119372 मत मिला. हालांकि जीत का अंतर कम हुआ. इस बार वो 17142 वोट से जीतीं.
डुमरी से निर्वाचित हुए जयराम, युवाओं की बने आवाज
झारखंड की राजनीति को वर्तमान में किसी ने प्रभावित किया है तो वे जयराम कुमार महतो हैं. दो से ढाई वर्ष पहले भाषा और स्थानीयता के मुद्दे को लेकर आंदोलन शुरू करने वाले जयराम कुमार महतो ने पूरे सूबे में अपनी धाक जमायी. हालांकि टाइगर के नाम से जाने जाने वाले जयराम ने राजनीतिक जीवन का आगाज गिरिडीह से किया.
लोकसभा चुनाव 2024 में वे गिरिडीह लोकसभा सीट से मैदान में उतरे. पहली दफा मैदान में उतरे जयराम को जनता का खूब प्यार मिला. इस चुनाव में जयराम को 347322 मत मिले, हालांकि वे चुनाव जीत नहीं सके. इसके बाद विधानसभा 2024 में जयराम गिरिडीह के डुमरी सीट के अलावा बेरमो से उम्मीदवार बने. बेरमो में इन्हें हार मिली लेकिन डुमरी में जयराम ने जेएमएम प्रत्याशी सह उस वक्त की मंत्री बेबी देवी को पराजित किया.
केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी (ईटीवी भारत) अन्नपूर्णा बन गई केंद्रीय मंत्री
इस वर्ष लोकसभा चुनाव में कोडरमा और गिरिडीह दोनों सीट पर एनडीए की जीत हुई. कोडरमा सीट पर भाजपा उम्मीदवार अन्नपूर्णा देवी लगातार दूसरी बार विजयी रही. इस बार अन्नपूर्णा देवी को पिछले चुनाव के मुकाबले अधिक वोट मिला. हालांकि जीत का अंतर कम हुआ. फिर भी बेहतर प्रदर्शन की वजह से अन्नपूर्णा देवी को यूनियन मिनिस्टर बनाया गया.
लोगों को संबोधित करते सुदिव्य कुमार (ईटीवी भारत) भाजपा के गढ़ में दूसरी बार जीते सुदिव्य, बने मंत्री विधानसभा चुनाव 2024 में गिरिडीह सीट पर पहली दफा झारखंड मुक्ति मोर्चा ने लगातार दूसरी जीत दर्ज की. भाजपा का गढ़ समझे जाने वाले गिरिडीह में जेएमएम उम्मीदवार सुदिव्य कुमार ने लगातार दूसरी दफा जीत दर्ज की. दूसरी दफा जीत दर्ज करने वाले सुदिव्य को हेमंत सोरेन ने मंत्री बनाया.
ग्राफिक्स इमेज (ईटीवी भारत) जब निर्दलीय ने बाबूलाल के सामने खड़ी की मुश्किल इस वर्ष विधानसभा चुनाव के दरमियान धनवार विधानसभा, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और निर्दलीय निरंजन राय की खूब चर्चा हुई. दरअसल इस सीट पर बाबूलाल के सामने उनके ही करीबी निरंजन राय ने ताल ठोक दी. ऐसे में निरंजन को मनाने के लिए भाजपा को खूब मेहनत करनी पड़ी. गोड्डा सांसद निशिकांत दूबे से बात नहीं बनी तो असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा को आना पड़ा. फिर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कार्यक्रम में निरंजन की जॉइनिंग भाजपा में हुई.
शिलान्यास करती तत्कालीन मंत्री बेबी देवी के साथ कल्पना सोरेन और सुदिव्य कुमार (ईटीवी भारत) शिक्षा क्षेत्र में हुआ महत्वपूर्ण काम शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य हुआ. गांडेय विधायक कल्पना सोरेन और गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार के प्रयास से सर जेसी बोस विश्वविद्यालय और इंजिनियरिंग कॉलेज के बाउंड्रीवाल की आधारशिला रखी गई. इसी तरह वर्ष के अंत में धनवार विधानसभा क्षेत्र में केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी के प्रयास से केंद्रीय विद्यालय की मंजूरी मिली.
बच्चन ने किया आत्मसमर्पण इस वर्ष नक्सलियों की बंदूके खामोश रही. पुलिस की सक्रियता के कारण नक्सली अपनी मांद में दुबके रहे. वहीं नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के बड़े नेता रामदयाल महतो ऊर्फ बच्चन ने आत्मसमर्पण कर दिया. वर्तमान में बच्चन का कद भले ही बहुत बड़ा नहीं था लेकिन इन्हें संगठन का थिंक टैंक समझा जाता रहा.
घटना घटी तो उद्भेदन भी हुआ इस साल वैसे एक के बाद एक कई घटना घटी. हत्या, लूट, छिनतई, अपहरण जैसे कई वारदात को अंजाम दिया गया. हालांकि ज्यादातर घटना का उद्भेदन कर लिया गया. इस वर्ष कोयला तस्करी, पशु तस्करी पर विशेष कार्रवाई हुई. जीटी रोड में तो तत्कालीन एसपी ने बजाप्ता चेक पॉइंट ही बना डाला था.
अनिल - दामोदर की हत्या, पत्रकार पर हमला
इस साल कुछ दिल दहलाने वाली घटना घटी. जहां अनिल यादव नामक युवक की बेरहमी से हत्या उसके ही पड़ोसी बैजू रविदास ने कर दी. अभी भी इस हत्याकांड की गुत्थी पूरी तरह से नहीं सुलझी है. इसी तरह साल के अंत में दामोदर यादव नामक व्यक्ति की हत्या कर दी गई. इस मामले में 7 लोग जेल गए.
ज्ञापन सौंपते प्रेस क्लब के सदस्य (ईटीवी भारत) जबकि साल के अंतिम पखवारे में पत्रकार अमरनाथ सिन्हा, कैमरामैन राहुल यादव और पत्रकार श्रीकांत सिंह पर खबर संकलन के दौरान गुंडों ने हमला कर दिया. अमरनाथ सिन्हा की जान लेने की कोशिश की गई. इस मामले में चार अभियुक्त जेल में हैं. वहीं अभी भी कई अभियुक्त फरार हैं.
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