एर्नाकुलम: केरल उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि, तलाक से इनकार करना क्रूरता है. कोर्ट ने कहा कि, यह ठीक वैसा है जैसा कि टूटी हुई शादी में बने रहने पर जोर देना है. न्यायालय ने यह टिप्पणी ने तलाक से जुड़े एक मामले पर की. न्यायमूर्ति राजविजय राघवन और न्यायमूर्ति पी एम मनोज की बेंच ने तलाक की याचिका खारिज करने के पारिवारिक अदालत के आदेश को रद्द कर दिया.
पारिवारिक न्यायालय द्वारा महिला की तलाक याचिका खारिज किए जाने और उसके पति द्वारा तलाक से इनकार किए जाने के बाद उच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप किया. याचिकाकर्ता ने शुरू में तलाक के लिए पारिवारिक न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन उसके पति ने शादी तोड़े जाने का विरोध किया. निचली अदालत ने उसके पति की क्रूरता को साबित करने के लिए सबूतों की कमी का हवाला देते हुए तलाक की उसकी मांग को खारिज कर दिया.