दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

'द शैकल्स ऑफ स्लेवरी विल ब्रेक', जिसके कारण हुए गिरफ्तार, करीब 3 साल बाद मिली जमानत - SCHOLAR AALA FAZILI SECURES BAIL

कोर्ट ने फैसला सुनाया कि फाजिली की हिरासत उचित नहीं थी. कश्मीर स्कॉलर अब्दुल आला फाजिली को जमानत मिल गई है.

पीएचडी स्कॉलर अब्दुल आला फाजिली (फाइल फोटो)
पीएचडी स्कॉलर अब्दुल आला फाजिली (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 13, 2025, 5:24 PM IST

श्रीनगर:जम्मू की एक अदालत ने पीएचडी स्कॉलर अब्दुल आला फाजिली को जमानत दे दी है. करीब तीन साल पहले उन्हें गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया था. साल 2011 में उनके कथित प्रकाशित लेख 'द शैकल्स ऑफ स्लेवरी विल ब्रेक' पर विवाद हो गया था. आज कोर्ट ने फैसला सुनाया कि फाजिली की हिरासत उचित नहीं थी, क्योंकि उनके लेखन में आतंकवादी कृत्यों से जोड़ने वाला कोई सबूत नहीं था.

थर्ड एडीशनल सेशन जज मदन लाल द्वारा शनिवार को सुनाए गए आदेश में कहा गया कि, लेखक ने हथियार उठाने का आह्वान नहीं किया है, न ही राज्य के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह के लिए उकसाया है, न ही किसी प्रकार की हिंसा के लिए उकसाया है. आतंकवाद के कृत्यों या हिंसा के माध्यम से राज्य के अधिकार को कमजोर करने का प्रयास तो बिल्कुल भी नहीं किया है."

जम्मू-कश्मीर राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) ने दावा किया था कि द कश्मीर वाला में प्रकाशित उनके कथित लेख 'द शैकल्स ऑफ स्लेवरी विल ब्रेक' जो बेहद भड़काऊ, देशद्रोही और जम्मू कश्मीर में अशांति पैदा करने के इरादे से लिखा गया था. उसके बाद फाजिली को अप्रैल 2022 में गिरफ्तार कर लिया गया.

हालांकि, अदालत ने पाया कि सरकार ने खुद एक दशक से अधिक समय तक इस लेख को नजरअंदाज किया था, जो दर्शाता है कि इसने कानून और व्यवस्था के लिए तत्काल या दीर्घकालिक खतरा पैदा नहीं किया था. अदालत ने कहा, "सरकार ने 6 नवंबर, 2011 से 4 अप्रैल, 2022 तक उक्त लेख पर न तो कोई नोटिस लिया और न ही कोई कार्रवाई की, जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि इस लेख ने न तो कानून और व्यवस्था को प्रभावित किया है और न ही उग्रवाद से जुड़ी घटनाओं को बढ़ाया है."

हाई कोर्ट ने पहले देखा था कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि लेख ने किसी को हिंसा करने के लिए प्रेरित किया. अदालत ने कहा, "रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं है. फाजिली के खिलाफ लगाए गए आरोप बिना किसी कानूनी आधार के, धारणाओं पर आधारित हैं और वह 17 अप्रैल, 2022 से न्यायिक हिरासत में है."

अभियोजन पक्ष ने कश्मीर वाला के एक कर्मचारी यश राज शर्मा की गवाही पर बहुत अधिक भरोसा किया, जिसे लेख प्रकाशित होने के सात साल बाद 2018 में काम पर रखा गया था. चूंकि पत्रिका केवल लेखक के सत्यापन के बाद ही लेख प्रकाशित करती है, इसलिए शर्मा ने दावा किया था कि, फाजिली ही लेखक थे.

ये भी पढ़ें:कश्मीर घाटी की स्थिति पर टॉप सुरक्षा अधिकारियों की अहम बैठक, आतंकवाद के खिलाफ रणनीति पर चर्चा

ABOUT THE AUTHOR

...view details