श्रीनगर: छह साल के बाद सोमवार को जम्मू-कश्मीर में विधायी गतिविधियां फिर से शुरू हुई. इसमें 86 नव-निर्वाचित सांसदों ने विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में शपथ ली. प्रोटेम स्पीकर मुबारक गुल ने समारोह की देखरेख की. इसमें 49 सदस्य पहली बार निर्वाचित हुए हैं. इस कार्यक्रम में क्षेत्र की भाषाई विविधता पर प्रकाश डाला गया. इसमें विधायक कश्मीरी, डोगरी, पहाड़ी, गोजरी, शीना, संस्कृत, अंग्रेजी और उर्दू सहित आठ भाषाओं में शपथ ली.
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कार्यवाही का नेतृत्व किया और कश्मीरी भाषा में शपथ लेकर सबका ध्यान आकर्षित किया. कश्मीरी भाषा को धाराप्रवाह न बोलने के लिए अक्सर उनकी आलोचना की जाती है. उनके बाद अन्य मंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के वरिष्ठ सदस्य अब्दुल रहीम राथर ने शपथ ली.
दो विधायक, थानामंडी के मुजफ्फर इकबाल खान और आरएस पुरा के डॉ. नरिंदर सिंह अनुपस्थित रहे. ईदगाह का प्रतिनिधित्व करने वाले गुल ने पहले ही उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के समक्ष शपथ ले ली थी. कई विधायकों ने अपनी शपथ के लिए कश्मीरी को चुना, जिनमें जदीबल के तनवीर सादिक, तंगमर्ग के फारूक शाह, लोलाब के कैसर जमशीद लोन, वागुरा-क्रीरी के इरफान हाफिज लोन और बांदीपोरा के निजामुद्दीन भट शामिल हैं.
सांस्कृतिक विरासत के उत्सव में सज्जाद शफी (उरी) और जावियाद मिर्चल (करनाह) ने पहाड़ी में शपथ ली जबकि गुलाबगढ़ के खुर्शीद अहमद ने गोज्जरी को चुना. गुरेज निर्वाचन क्षेत्र से नजीर गुरेजी ने शीना को चुना, जो गिलगित-बाल्टिस्तान और गुरेज में बोली जाने वाली भाषा है.
जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष तारिक हामिद कर्रा और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद गनी लोन ने अंग्रेजी में शपथ ली. अधिकांश भाजपा विधायकों ने डोगरी में शपथ ली, जबकि सुनील शर्मा, शगुन परिहार (किश्तवाड़) और आरएस पठानिया ने संस्कृत में शपथ ली. पारंपरिक माहौल को और बेहतर बनाने के लिए शगुन परिहार सहित सभी भाजपा विधायक डोगरा पगड़ी पहने नजर आए.