धारवाड़: कर्नाटक में 89 साल की उम्र में पीएचडी की डिग्री हासिल करने वाला एक बुजुर्ग युवाओं के लिए आदर्श है. प्रदेश में पहली बार किसी व्यक्ति ने इतनी उम्र में पीएचडी की डिग्री हासिल कर विशेष उपलब्धि हासिल की है. 89 वर्ष की आयु में उन्होंने डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी की उपाधि प्राप्त की और लोगों का ध्यान आकर्षित किया.
धारवाड़ के जयनगर के रहने वाले मार्कंडेय डोड्डामणि अब 89 साल के हैं. वह एक सेवानिवृत्त शिक्षक हैं, उन्होंने साहित्य क्षेत्र में काम किया है. लगातार 18 वर्षों तक दोहारा कक्कय्या के वचनों और जीवन उपलब्धियों का अध्ययन करने के बाद 'शिवशरण दोहारा कक्कय्या: एक अध्ययन' शीर्षक से अपनी थीसिस प्रस्तुत की और कर्नाटक विश्वविद्यालय, धारावाड़ा से पीएचडी पूरी की.
दोहारा कक्कय्या के केवल 6 वचन (वचन साहित्य कन्नड़ में लयबद्ध लेखन का एक रूप है) हैं. इसलिए अब तक किसी ने भी इस पर अध्ययन करने के बारे में नहीं सोचा था. हालांकि, अन्य शरण वचनों में कक्कय्या का उल्लेख है. यह सब जांचने के बाद उन्होंने कक्कय्या द्वारा देखे गए काद्रोली और कक्केरी स्थानों का भी दौरा किया, पूरा शोध किया और 150 पेज की थीसिस तैयार की.
राज्य के शैक्षिक इतिहास में अब तक ऐसे लोग हुए हैं, जिन्होंने 79 वर्ष की आयु तक पीएचडी डिग्री की उपाधि प्राप्त की है. लेकिन, अब उन्होंने उन सबको पीछे छोड़ते हुए 89 साल की उम्र में अपनी थीसिस पेश कर एक नया रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है.