बेंगलुरु: कर्नाटक हाई कोर्ट ने मंगलवार को आरटीआई कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा द्वारा दायर रिट याचिका पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और अन्य को नोटिस जारी किया है. याचिका में मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) साइट आवंटन मामले को सीबीआई को सौंपने का निर्देश देने की मांग की गई है.
जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती बी एम, उनके रिश्तेदार मल्लिकार्जुन स्वामी, भारत संघ, राज्य सरकार, सीबीआई और लोकायुक्त को भी नोटिस जारी किया. उन्होंने लोकायुक्त को मामले में अब तक की गई जांच को रिकॉर्ड में रखने का निर्देश दिया. अदालत ने अगली सुनवाई 26 नवंबर को तय की.इस बीच, लोकायुक्त पुलिस ने मामले में आरोपी नंबर एक के तौर पर नामित सिद्धारमैया को 6 नवंबर को पूछताछ के लिए बुलाया है.
उन्होंने 25 अक्टूबर को उनकी पत्नी से पूछताछ की थी, जो आरोपी नंबर दो हैं. मुख्यमंत्री पर मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) द्वारा उनकी पत्नी को 14 भूखंड आवंटित करने में अनियमितताओं के आरोप हैं.सिद्धारमैया, उनकी पत्नी, स्वामी और देवराजू , जिनसे स्वामी ने जमीन खरीदकर पार्वती को उपहार में दी थी. अन्य का नाम मैसूर स्थित लोकायुक्त पुलिस प्रतिष्ठान द्वारा 27 सितंबर को दर्ज की गई एफआईआर में दर्ज किया गया है.
स्वामी और देवराजू पहले ही लोकायुक्त पुलिस के समक्ष गवाही दे चुके हैं. कृष्णा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता के जी राघवन ने दावा किया कि लोकायुक्त पुलिस द्वारा की जा रही जांच, "इस तरह के मामले में" जनता में विश्वास पैदा नहीं करती है. मुख्यमंत्री ने 24 अक्टूबर को उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष अपील दायर की, जिसमें MUDA साइट आवंटन मामले के संबंध में एकल न्यायाधीश की पीठ के फैसले को चुनौती दी गई, जो उनके लिए एक झटका था.
जस्टिस नागप्रसन्ना की पीठ ने 24 सितंबर को मामले में उनके खिलाफ जांच के लिए राज्यपाल थावरचंद गहलोत की मंजूरी को चुनौती देने वाली मुख्यमंत्री की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि राज्यपाल के आदेश में कहीं भी "विवेक के अभाव" का अभाव नहीं है. सिद्धारमैया ने एक प्रमुख इलाके में मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा 14 साइटों के आवंटन में कथित अनियमितताओं में उनके खिलाफ जांच के लिए गहलोत की मंजूरी की वैधता को चुनौती दी थी.