दिल्ली

delhi

'मैं फिर से इंसान बना तो...', कारगिल युद्ध के नायक कैप्टन विजयंत थापर का माता-पिता को आखिरी पत्र - Captain Vijayant Thapar

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 26, 2024, 4:19 PM IST

Kargil War Hero Captain Vijayant Thapar: कारगिल की हीरो स्वर्गीय कैप्टन विजयंत थापर का जन्म 29 दिसंबर 1976 को पंजाब के नांगल में हुआ था. उनका नाम सेना के एक टैंक के नाम पर रखा गया था.

Captain Vijayant Thapar
कारगिल युद्ध के नायक कैप्टन विजयंत थापर का माता-पिता को आखिरी पत्र (ANI)

नई दिल्ली: देश कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ मना रहा है. इस मौके पर हम आपको 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में वीरता के लिए वीर चक्र (मरणोपरांत) प्राप्त करने वाले स्वर्गीय कैप्टन विजयंत थापर के आखिरी लेटर के बारे में बताने जा रहे हैं. यह पत्र उन्होंने अपने माता-पिता को लिखा था.

अपने माता-पिता को लिखे अपने अंतिम पत्र में विजयंत थापर ने कहा, "मुझे कोई पछतावा नहीं है, अगर मैं फिर से इंसान बना, तो भी मैं सेना में शामिल हो जाऊंगा और अपने देश के लिए लड़ूंगा." विजयंत थापर सेवानिवृत्त कर्नल वीएन थापर के बेटे थे. 29 दिसंबर 1976 को पंजाब के नांगल में जन्मे विजयंत का नाम सेना के एक टैंक के नाम पर रखा गया था जिसका नाम विजयंत था.

कैप्टन विजयंत थापर ने दिसंबर 1998 में भारतीय सैन्य अकादमी से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की और 12 राजपूताना राइफल्स में शामिल हो गए. 25 मई 1999 को उनकी यूनिट को द्रास में जाने और टोलोलिंग, टाइगर हिल और आसपास के इलाकों से पाकिस्तानी सेना के सैनिकों का मुकाबला करने का आदेश मिला.

28 जून 1999 को उन्हें अपनी टुकड़ी का नेतृत्व करते हुए थ्री पिम्पल्स, नोल और लोन हिल क्षेत्र पर कब्जा करने का काम सौंपा गया. हालांकि उन्होंने नोल पर कब्जा कर लिया, लेकिन विजयंत थापर गोलीबारी में शहीद हो गए.

कैप्टन विजयंत थापर का पत्र
जब तक तुम्हें यह पत्र मिलेगा, मैं आकाश से तुम सबको अप्सराओं की हॉस्पिटैलिटी का आनंद लेते हुए देख रहा होऊंगा. मुझे कोई पछतावा नहीं है, बल्कि अगर मैं फिर से इंसान बन गया तो मैं सेना में शामिल हो जाऊंगा और अपने देश के लिए लड़ूंगा. अगर तुम आ सको तो आकर देखना कि भारतीय सेना ने तुम्हारे लिए कहां लड़ाई लड़ी.

जहां तक ​​यूनिट का सवाल है, नए लोगों को इस बलिदान के बारे में बताना. मुझे उम्मीद है कि मेरी तस्वीर ‘A’ कोय मंदिर में रखी जाएगी. अनाथालय में कुछ पैसे दान करना और रुक्साना को हर महीने 50 रुपये देते रहना और योगी बाबा से भी मिलना.

बिंदिया को शुभकामनाएं. इस बलिदान को कभी मत भूलना. पापा पर आपको गर्व महसूस होना चाहिए, मां को भी.(मैं उससे प्यार करता था). मामाजी, मैंने जो भी गलत किया उसके लिए मुझे माफ कर दीजिए. ठीक है, अब मेरे लिए अपने डर्टी डजन के कबीले में शामिल होने का समय आ गया है, मेरी हमलावर पार्टी में 12 लोग हैं.

आप सभी को शुभकामनाएं,

जिंदगी को राजा की तरह जियो,

तुम्हारा रॉबिन

यह भी पढ़ें- कारगिल युद्ध के 25 साल, जानें अब कैसी है सुरक्षा-व्यवस्था

ABOUT THE AUTHOR

...view details